इसी तरह से उम्र दराज चिकित्सक डॉ. प्रकाश मिश्रा हनुमानगढ़ जिले के पीलीबंगा में निरंतर सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने बताया, 50 वर्ष की उम्र में जाकर उनका चयन सरकारी सेवा के लिए हुआ। कभी अकेले घर से बाहर रहकर काम नहीं किया। पहली बार हुआ, जब धर्मशाला में रहकर अपना फर्ज निभा रहे हैं। सुबह का खाना स्टाफ और शाम का खाना पहचान वालों से मिल रहा है। भले हालात मुश्किलों से भरे हैं, पर दूसरे कर्मवीरों को देखकर काम करने का जोश और उत्साह बना रहता है।
और अस्पताल बन गया शरणस्थल जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में सेवाएं दे रहे सुनील कुमार सेन और विवेक गौतम अन्य सहयोगियों के साथ 24 घंटे सेवा में डटे हैं। सभी चरक भवन स्थित कोरोना ओपीडी कलेक्शन सेंटर में तैनात हैं। उन्होंने बताया कि कुछ कार्मिक संकट की स्थिति को समझते हुए घर नहीं जाकर यहीं रूककर काम कर रहे हैं। एक बार कोरोना का मुंह तोड़ जवाब दे देंगे तो सारी थकान और परेशानियां दूर हो जाएंगी।
डर रखा एक तरफ, अब ‘खतरे’ के बीच कोरोना से उत्पन्न विषम स्थिति को काबू में करने में लगे डॉक्टर्स को पैरामेडिकल स्टाफ का सहयोग मिल रहा है। संविदा प्रयोगशाला सहायक संघ के प्रवक्ता सुनील कुमार जैन ने बताया कि मुख्यमंत्री निःशुल्क जांच सेवा के लैब टेक्नीशियन व प्रयोगशाला सहायक सहित समस्त पैरामेडिकल स्टाफ संक्रमण के बीच कंधे से कन्धा मिलाकर कार्य रहे हैं। संक्रमितों के सैंपल लेने और अन्य जांचों में सहयोग करने का काम हजारों कार्मिक कर रहे हैं।
लाखों संदेश आए कर्मवीरों के समर्थन में जानलेवा संक्रमण और खतरे के बीच तन-मन से सेवा कार्यों में जुटे कोरोना के कर्मवीरों के साहस को सलाम करने वाले पत्रिका के कर्मवीर अभियान को आमजन का भारी जनसमर्थन मिल रहा है। कोरोना संक्रमित के इलाज में दिन-रात जुटे डॉक्टर्स, पैरा मेडिकल स्टाफ, पुलिसकर्मी, सफाईकमी, मीडिया और आवश्यक सेवा में जुट कार्मिकों के फोटो-वीडियो सहित रोजाना हजारों संदेश मिल रहे हैं। पत्रिका के डिजिटल, सोशल मीडिया और वीडियो प्लेटफॉर्म पर अब तक ढाई मिलियन से अधिक संदेश किसी न किसी माध्यम से आ चुके हैं। दिनभर में सैकड़ों वीडियो कर्मवीरों के समर्थन में शेयर किए जाते हैं।
मेहंदी का रंग भी फीका नहीं पड़ा, डट गईं मोर्चे पर उत्तर प्रदेश की औरेया निवासी नर्स सोनम गुप्ता का विवाह हाल में हुआ। कानपुर स्थित सुसराल की जिम्मेदारी अच्छे से संभालती इससे पहले पति और परिजनों का आशीर्वाद लेकर दो फरवरी से मोर्चें पर डट गईं। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बाद ड्यूटी दिबियापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लग गई। तमाम तरह की तकलीफों को झेलने के बाद दो अप्रेल से आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी कर रही हैं। कस्बे में कई कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज हुआ है।
जिगर के टुकड़े को छोड़ ड्यूटी महिला अपराध और सुरक्षा प्रकोष्ठ के साथ 112 की जिम्मेदारी संभाल रहीं शालिनी का बेटा चार साल का है। लॉक डाउन, सामाजिक दूरी के इस कठिन वक्त में मां की भूमिका पर कहती हैं, 12 दिन तक बेटे संग मनोवैज्ञानिक शीत युद्ध चला। ड्यूटी से आकर उसे न छूना, उसे न खाना खिलाना, गले न लगाना। सब कुछ अजीब से हो गया है। पर फर्ज और सावधानी दोनों जरुरी है। इधर, हॉट स्पॉट इलाके लखनऊ कैंट इलाके की पुलिस अधीक्षक डॉ. बीनू सिंह ने अपने तीन बच्चों को प्रतापगढ़ में नानी के पास भेज दिया है। चुनौतीपूर्ण समय में शहर में शांति बहाली के लिए संघर्ष करती रहती हैं। बच्चों की शिकायत है, मैंने उन्हें दूर कर दिया पर उनकी सुरक्षा बेहद जरूरी है।
(डिस्क्लेमर : फेसबुक के साथ इस संयुक्त मुहिम में समाचार सामग्री, संपादन और प्रकाशन पर पत्रिका समूह का नियंत्रण है)