गौरतलब है कि हाईकोर्ट की ओर से तटीय नियमन क्षेत्र (सीआरजेड) की क्लीरेंस रद्द होने के बाद से कोस्टल रोड परियोजना अटकी पड़ी है। मुंबई की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना की लागत में करीब एक हजार करोड़ रुपए का इजाफा हो रहा है। जानकारों ने बताया कि यह परियोजना और देरी से शुरू होती है, तो लागत और बढ़ सकती है। सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ ग्रेटर मुंबई की ओर से पक्ष रख रहे हैं।
गत वर्ष शुरू हुई थी परियोजना
मुंबई में 30 किलोमीटर लम्बी इस परियोजना की शुरुआत गत वर्ष 2018 में की गई थी। परियोजना के काम को वर्ष 2022 तक पूरा होना था, लेकिन अदालतों में प्रकरण के उलझने से कोई काम आगे नहीं बढ़ सका। सुप्रीम कोर्ट ने फिशरमेन यूनियन, सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय निवासियों से जवाब मांगा था।