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कोर्ट ने दिया था आदेश, फिर भी स्टेशनों पर इमर्जेंसी मेडिकल रूम नहीं

locationमुंबईPublished: Jan 31, 2019 11:38:29 pm

Submitted by:

arun Kumar

डेथलाइन में क्यों तब्दील हो रही मुंबई की लाइफ लाइन लोकल

Court gave order, yet there is no Emergency Medical Room at stations

Court gave order, yet there is no Emergency Medical Room at stations

हाईकोर्ट के आदेश को रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी
शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा

अरुण लाल
मुबई.
लोकल ट्रेन हादसों में घायल लोगों के फौरी उपचार के लिए बांबे हाईकोर्ट ने दस साल पहले, मार्च, 2009 में सभी स्टेशनों पर इमर्जेंसी मेडिकल रूम बनाने का आदेश दिया था। लेकिन अफसोस यह कि अभी तक रेल प्रशासन ने इस पर अमल नहीं किया है। जानकारों की राय में यदि प्रशासन ने कोर्ट के आदेश का पालन किया होता तो बीते 10 साल के दौरान रेल हादसों में जान गंवानेवाले हजारों लोगों में से कई की जान बचाई जा सकती थी। देर से ही सही वेस्टर्न रेलवे सभी स्टेशनों पर इमर्जेंसी मेडिकल रूम बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। मिली जानकारी अनुसार अगले दो महीने के भीतर वेस्टर्न रेलवे के सभी लोकल स्टेशनों पर इमर्जेंसी मेडिकल रूम की सुविधा होगी।
गौरतलब है कि रेलवे एक्टिविस्ट समीर जवेरी ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई थी। उन्होंने बताया था कि मुंबई लोकल से रोजाना लोग हादसों के शिकार होते हैं। कुछ लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो जाती है जबकि कुछ लोग घायल हो जाते हैं। जवेरी का तर्क था कि स्टेशनों पर फौरी उपचार की व्यवस्था हो तो बहुत से घायलों की मौत टाली जा सकती है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने रेलवे प्रशासन को आदेश दिया कि सभी स्टेशनों पर इमर्जेंसी मेडिकल रूम बनाए जाएं। रेलवे ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा।
आदेश पर ठीक से अमल नहीं

दस साल बाद भी कोर्ट के आदेश पर सेंट्रल और वेस्टर्न रेलवे अमल नहीं कर पाया है। 2012 में सेंट्रल लाइन के दादर स्टेशन पर एक इमर्जेंसी मेडिकल रूम बनाया गया। वेस्टर्न रेलवे ने भी अपने कुछ स्टेशनों पर क्लीनिक खोले। सेंट्रल रेलवे के लोकल नेटवर्क में 80 स्टेशन हैं, जिनमें से केवल 10 जगह इमर्जेंसी मेडिकल रूम बनाए गए हैं जबकि 13 स्टेशनों पर यह सुविधा मुहैया कराने का काम अंडर प्रोसेस है।
रोजाना 10 से ज्यादा लोगों की मौत

जवेरी का कहना है कि हादसों के सही आंकड़े रेलवे नहीं बताती। कहने के लिए हर दिन 10 लोगों की मौत होती है। जिन घायलों की मौत इलाज के दौरान होती है, वह आंकड़ा इसमें शामिल नहीं है। रेल दुर्घटना में घायल व्यक्ति के शरीर से तेज गति से खून बहता है, जिसे तत्काल न रोका जाए उसकी मौत हो जाती है।
अहम है इमर्जेंसी मेडिकल रूम

कुछ समय पहले विजयवाड़ा स्टेशन पर एक व्यक्ति की हार्टअटैक से मौत हो गई। उसकी पत्नी ने कंज्यूमर कोर्ट में केस किया था। कोर्ट ने रेलवे को 10 लाख रुपए हर्जाना देने का आदेश दिया जिसे रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उपभोक्ता अदालत के फैसले को सही मानते हुए रेलवे को आदेश दिया कि वह महिला को 10 लाख चुकाए। कुर्ला में कुछ समय पहले एक व्यक्ति को हार्ट अटैक आया था। इमर्जेंसी मेडिकल रूप सुविधा के चलते डॉक्टर ने प्राथमिक उपचार कर व्यक्ति को अस्पताल भेजा, जहां उसकी जान बच गई।
वेस्टर्न रेलवे ने बनाई योजना

वेस्टर्न रेलवे ने चर्चगेट से लेकर ़हाणू तक के सभी स्टेशनों पर क्लीनिक खोलने की योजना बनाई है। होगा। हरेक क्लीनिक में एक डॉक्टर, नर्स, छोटा लैब और एक मेडिकल स्टोर होगा। डॉक्टर को प्राइवेट प्रैक्टिस की इजाजत होगी। इस क्लीनिक में रेल हादसे में घायल व्यक्ति का इलाज फ्री में होगा। डॉक्टर रेलवे को हर वर्ष लाइसेंस फीस देंगें। इससे वेस्टर्न रेलवे को कुल 1.40 करोड़ रुपए की सालाना आय होगी।
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