आदेश पर ठीक से अमल नहीं दस साल बाद भी कोर्ट के आदेश पर सेंट्रल और वेस्टर्न रेलवे अमल नहीं कर पाया है। 2012 में सेंट्रल लाइन के दादर स्टेशन पर एक इमर्जेंसी मेडिकल रूम बनाया गया। वेस्टर्न रेलवे ने भी अपने कुछ स्टेशनों पर क्लीनिक खोले। सेंट्रल रेलवे के लोकल नेटवर्क में 80 स्टेशन हैं, जिनमें से केवल 10 जगह इमर्जेंसी मेडिकल रूम बनाए गए हैं जबकि 13 स्टेशनों पर यह सुविधा मुहैया कराने का काम अंडर प्रोसेस है।
रोजाना 10 से ज्यादा लोगों की मौत जवेरी का कहना है कि हादसों के सही आंकड़े रेलवे नहीं बताती। कहने के लिए हर दिन 10 लोगों की मौत होती है। जिन घायलों की मौत इलाज के दौरान होती है, वह आंकड़ा इसमें शामिल नहीं है। रेल दुर्घटना में घायल व्यक्ति के शरीर से तेज गति से खून बहता है, जिसे तत्काल न रोका जाए उसकी मौत हो जाती है।
अहम है इमर्जेंसी मेडिकल रूम कुछ समय पहले विजयवाड़ा स्टेशन पर एक व्यक्ति की हार्टअटैक से मौत हो गई। उसकी पत्नी ने कंज्यूमर कोर्ट में केस किया था। कोर्ट ने रेलवे को 10 लाख रुपए हर्जाना देने का आदेश दिया जिसे रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उपभोक्ता अदालत के फैसले को सही मानते हुए रेलवे को आदेश दिया कि वह महिला को 10 लाख चुकाए। कुर्ला में कुछ समय पहले एक व्यक्ति को हार्ट अटैक आया था। इमर्जेंसी मेडिकल रूप सुविधा के चलते डॉक्टर ने प्राथमिक उपचार कर व्यक्ति को अस्पताल भेजा, जहां उसकी जान बच गई।
वेस्टर्न रेलवे ने बनाई योजना वेस्टर्न रेलवे ने चर्चगेट से लेकर ़हाणू तक के सभी स्टेशनों पर क्लीनिक खोलने की योजना बनाई है। होगा। हरेक क्लीनिक में एक डॉक्टर, नर्स, छोटा लैब और एक मेडिकल स्टोर होगा। डॉक्टर को प्राइवेट प्रैक्टिस की इजाजत होगी। इस क्लीनिक में रेल हादसे में घायल व्यक्ति का इलाज फ्री में होगा। डॉक्टर रेलवे को हर वर्ष लाइसेंस फीस देंगें। इससे वेस्टर्न रेलवे को कुल 1.40 करोड़ रुपए की सालाना आय होगी।