गौरतलब है कि समय के साथ ही अपराधी नए-नए तरीकों से लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे में डीआरडीओ ने देश भर के (भीड़-भाड़ वाले) प्रमुख स्थानों पर कैमिकल अटैक को लेकर सुरक्षा जांच शुरू की है। इसके तहत डीआरडीओ की टीम उन स्थानों की बारीक जांच करती है। इसके बाद वे उन स्थानों पर सुरक्षा को मजबूत करने के अपने सुझाव देती हैं। इसी क्रम में डीआरडीओ की यह टीम छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रेलवे स्टेशन को कैमिकल अटैक से सुरक्षित करने के लिए मुंबई पहुंची। टीम ने रेलवे स्टेशन का जायजा लिया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेलवे स्टेशनों पर किसी भी तरह का कैमिकल लाना मना है। पर वर्तमान में जो डिटेक्टर लगे हैं, उनमें कैमिकल डिटेक्ट नहीं होते। ऐसे में आने वाले दिनों में स्टेशनों पर कैमिकल डिटेक्ट करने वाले डिटेक्टर भी लगाने की तैयारी कर रहे हैं।
बात दें कि कुछ समय पहले मुंबई फायर ब्रिगेड के खेमें में अत्याधुनिक हैजमेट वेहिकल को शामिल किया गया था, जो किसी प्रकार की कैमिकल दुर्घटना से शहर को सुरक्षित करने में सक्षम होगा। इसी तर्ज पर रेलवे में भी टॉकजिग, क्लोरिन, अमोनिया, पॉसजिन और इस तरह के फटने वाले लिक्विड जैसे कैमिकल से रक्षा की तैयारी की जाएगी। सूत्रों की माने तो किसी प्रकार के कैमिकल अटैक से सुरक्षित करने के लिए रेलवे यह कदम उठाने जा रही है। इसके लिए रेलवे कैमिकल से बचाव वाले सूट भी खरीदेगी। इस सूट को पहनने के बाद सुरक्षाकर्मी पर टॉकजिग गैसेस, रेडियोलॉजिकल और बॉयोलॉजिकल इफेक्ट नहीं होगा।
सूत्रों की माने तो रेलवे के पास कैमिकल से प्रभावित लोगों का प्राथमिक उपचार करने की व्यवस्था नहीं है। सूत्रों ने बताया कि हम लोग कैमिकल से सुरक्षित करने के लिए रेलवे के पास डी क्वांटेमिनेशन यूनिट भी तैनात करेंगे। इसमें शॉवर होंगे। जिसमें जिस तरह के कैमिकल से लोग प्रभावित होंगे, उसका एंटी डोज तैयार कर उन्हें शॉवर से नहला दिया जाएगा। व्यक्ति को पूरी तरह से कैमिकल के प्रभाव से मुक्त कर अस्पताल के लिए रवाना किया जाएगा।
इसके लिए डीआरडीओ की टीम सेंट्रल रेलवे के 30 आरपीएफ और फायर विभाग के पांच लोगों को विशेष ट्रेनिंग देने जा रही है। जिसमें कैमिकल को स्टेशन में आने से रोकने से लेकर, कैमिकल फैलने के बाद सुरक्षा करने के तरीकों को सिखाया जाएगा।