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खतरों से झूल रहे पुलों से हो सकता है बड़ा हादसा

locationमुंबईPublished: Mar 16, 2019 06:49:10 pm

Submitted by:

Devkumar Singodiya

हादसे दर हादसे: पहले फेज के ऑडिट से कितना सुरक्षित था ब्रिज, जिम्मेदार लाल फीताशाही या नीति निर्धारक

mumbai bridge haadsa

Dangers can be a big accident from bridges swinging

मुंबई/कल्याण. हादसों के बाद हादसे झेलती मुंबई में एक बार फिर एक हादसे ने मुंबईकरों के मन में दहशत भर दिया। मुंबई के सैकड़ों पुलों से रोज लाखों लोग गुजरते हैं, अब हर व्यक्ति के मन में एक भय भरा हुआ है। मुंबई की धड़कन मानी जाने वाली मुंबई लोकल के सफर के लिए ही रोज लगभग 80 लाख लोग किसी न किसी पुल का अवश्य उपयोग करते हैं। इनमें से लगभग दो दर्जन पुल ऐसे हैं, जिन्हें सालों पहले ही तोड़ दिया जाना चाहिए था। पर बेफिक्र अधिकारियों और लालफीताशाही में पड़ी फाइलों के चलते लोगों को अपनी जान जोखिम में डाल कर इन पुलों से गुजरना विवशता है।
स्ट्रक्चरल ऑडिट पर पीएचडी करने वाले ऑडिटर जसवंत एन अरर्लेकर से पत्रिका ने बात की तो उन्होंने बताया कि किसी भी पुल का चार चरणों में स्ट्रक्चरल ऑडिट किया जाता है। यह पुल जो गिरा है उसका सिर्फ पहले चरण का ही ऑडिट किया गया लगता है। स्ट्रक्चरल ऑडिट का पहला चरण है कि विजुअल एसेसमेंट हम किसी भी पुल को दूर से या जितना करीब से देखते हैं। इसमें हमारा अनुभव बता देता है कि पुल की हालत क्या है। यह ठीक ऐसे ही है जैसे कोई मरीज डॉक्टर के पास जाता है तो उसे देख कर डॉक्टर दवा देता है। अगर हमें लगता है कि इसमें और जांच की जरूरत है तो फिर दूसरे चरण की बात सामने आती है। इसमें हम टेस्ट करने के लिए कहते हैं। टेस्ट के रिजल्ट को देखने के बाद तीसरे चरण की शुरुआत की जाती है। इसमें प्रिलिमनरी एनालिसिस कहते हैं। इसमें हम देखते हैं कि इसमें रफ स्ट्रक्चरल मॉडल बनाते हैं और देखते हैं कि पुल कितना मजबूत है। इसकी क्षमता कितनी है। अगर तीसरे स्टेप के बाद भी लगता है कि इसकी और जांच की जरूरत है तो हम चौथे स्टेप में जाते हैं, जहां फुल डीटेल में जांच होती है। यहां नए पुल की तरह सारी डीटेल जांच की जाती है। सारी चीजों की बारीक जांच करते हुए कलॉप्स कैपेसिटी निकाली जाती है। जो पुल गिरा है उसके डिजाइन में किसी तरह की कमी नहीं है। पर उसका सही तरह से मेंटेनेंस नहीं किया गया। जहां तक मैं समझता हूं जो पुल गिरा है उसका सिर्फ पहले चरण का स्ट्रक्चरलऑडिट किया गया था।

65 साल पुराना पादचारी पुल खतरनाक

कल्याण. मध्य रेलवे के कल्याण स्टेशन पर पश्चिम से पूर्व को जोडऩे वाला 65 साल पुराना पादचारी पुल भी खतरे में है। इस पुल का निर्माण वर्ष 1954-55 के दरम्यान हुआ था। वर्तमान में पुल के मध्यभाग में लोड बढ़ते ही तेज गति से कम्पन होती है। कभी-कभार तो यात्री डर जाते हैं। शुक्रवार दोपहर को पत्रिका टीम पादचारी पुल पर पहुंची और गुजरते हुए यात्रियों के साथ-साथ खुद भी कम्पन को महसूस किया।
एक से सात तक जुड़ा है
65 साल पुराना यह पुल कल्याण के प्लेटफार्म नम्बर एक से सात के अलावा पश्चिम से पूर्व की ओर जुड़ा है। पश्चिम से पूर्व की ओर जुडऩे वाला यह पादचारी पुल सुबह और शाम पीक आवर में यात्रियों से भरा रहता है।

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