Dharavi के पुनर्विकास पर फिर लटकी तलवार
गरीब तबके को नहीं मिलेंगे घर
सरकार ने धारावी के पुनर्विकास को पांच भागों में बांटा था, जबकि सेक्टर पांच के पुनर्विकास का काम म्हाडा को सौंपने का निर्णय किया गया। प्राधिकरण ने काम कराने की औपचारिकताएं पूरी कर ठेकेदारों से झुग्गी-झोपडिय़ों को तोड़कर गगनचुंबी इमारतें बनाने का काम शुरू कर दिया। इन इमारतों के आवंटन में झोपड़ी में रहने वालों को प्राथमिकता दी गई और जो फ्लैट बचने थेे, उनकी लॉटरी के माध्यम से बेचने की योजना बनाई गई। म्हाडा का प्रयास धारावी के लोगों को पुनर्वास भवन प्रदान करके आम लोगों के लिए घर बनाने का था। हालांकि पुनर्विकास के काम बंद होने से अब यह साफ हो गया कि आम लोगों और झुग्गी-झोपड़ी वालों को घर नहीं मिलेंगे। इस परियोजना में कई विवाद आने से मामला खटाई में पड़ गया।
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कंपनी को नहीं दिया जा रहा इरादा पत्र…
तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सरकार ने धारावी के एक साथ पुनर्विकास के लिए एक कंपनी स्थापित की थी। कंपनी ने विश्व स्तर पर निविदा प्रक्रिया शुरू की थी। निविदा प्रक्रिया में दुबई की कंपनी ने गहरी रुचि दिखाई। इसके अलावा देश की नामी-गिरामी कंपनियों ने धारावी का पुनर्विकास करने के लिए हजारों करोड़ की निविदाएं भरीं। बाद में एक निजी कंपनी को काम मिल गया, लेकिन उसे अब तक काम शुरू करने की इजाजत नहीं दी गई।
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धारावी के पुनर्विकास पर संशय…
फडणवीस सरकार ने कानूनी राय मांगकर इस परियोजना को आगे बढ़ाने की कोशिश की थी, लेकिन बात नहीं बनी। क्योंकि इस योजना में 45 एकड़ जमीन रेलवे की है और रेलवे राज्य सरकार को यह जमीन देने की इच्छुक नहीं है। रेलवे और राज्य सरकार के बीच खींचतान के चलते परियोजना लटकी पड़ी है। हालांकि फडणवीस सरकार ने धारावी पुनर्विकास परियोजना की निविदा प्रक्रिया को सफलतापूर्वक शुरू किया था, लेकिन डेवलपर की नियुक्ति में वर्षों की देरी हो गई।
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पुनर्विकास को खतरा नहीं…
धारावी पुनर्विकास योजना म्हाडा की प्राथमिकता में है। प्राधिकरण चाहता है कि गरीब तबके को बेहतर आवास सुविधा मिले। इस परियोजना में आने वाली सभी बाधाओं को जल्द दूर कर दिया जाएगा और गरीबों के मकान के सपने को पूरा किया जाएगा। धारावी में एक सेक्टर पर बने मकानों को केवल पुनर्वास के लिए उपलब्ध किया जाएगा। इसलिए धारावी के एकत्रित विकास के लिए कोई खतरा नहीं होगा।
– मिलिंद म्हैसकर, उपाध्यक्ष, म्हाडा