Doctors Day पर दिनचर्या का निर्वहन
डॉक्टर्स को लोग मानते हैं भगवान का रूप
प्राइवेट डॉक्टर्स की ओर से विभिन्न आयोजन
खास दिन पर फ्री फस्र्ट विजिट

- रोहित के. तिवारी
मुंबई. मरीज के लिए डॉक्टर एक भगवान के रूप में होते हैं। उनके इस रूप को सम्मान करते हुए लोग एक जुलाई को देश भर में डॉक्टर्स-डे के तौर पर मनाते हैं। इस दिन को खास मनाने के लिए डॉक्टर और मरीज दोनों ही तरह-तरह के आयोजन भी करते हैं। कामा हॉस्पिटल में सीनियर डॉक्टर्स की ओर से इस दिन जूनियर डॉक्टर्स को फ्री फस्र्ट विजिट कराई जाती है, ताकि उन्हें भी मरीज और डॉक्टर के बीच होने वाले गहरे नाते के बारे में पता चल सके। जानते हैं, इस खास दिन की कुछ खास बातें-
1991 से मनाया जा रहा डॉक्टर्स डे
भारत सरकार की ओर से 1991 में लागू किया गया यह खास दिन भारत के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. बिधान चंद्र रॉय को श्रद्धांजलि और सम्मान देने के लिए प्रत्येक एक जुलाई को चिकित्सक दिवस के रूप में मनाया जाता है। चार फरवरी 1961 में डॉ. विधान चन्द्र रॉय को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था और उनका जन्म बिहार के पटना में एक जुलाई 1882 को हुआ था। महान डॉक्टर रॉय पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री भी रहे। साथ ही उनके दूरदर्शी नेतृत्व के लिए पं. बंगाल राज्य का आर्किटेक्ट भी कहा जाता था। रॉय ने अपनी डॉक्टरी की डिग्री कलकत्ता से पूरी की और 1911 में भारत लौटने के बाद अपनी एमआरसीपी और एफआरसीएस की डिग्री लंदन से पूरी की। इसी साल से भारत में एक चिकित्सक के रूप में अपने चिकित्सकीय जीवन की शुरुआत की।
अन्य देशों में अलग-अलग तारीखें
दुनिया के दूसरे देशों में डॉक्टर्स डे अलग-अलग दिन मनाया जाता है। अमेरिका में 30 मार्च को मनाया जाता है, इससे पहले वहां यह नौ मई को मनाया जाता था। क्यूबा, ईरान में भी यह दिन अलग-अलग तारीक को मनाया जाता है। इस दिन देश भर में लोग एक-दूसरे को ग्रीटिंग, संदेश और मैसेज भेजकर डॉक्टर्स का अभिवादन करते हैं। मेडिकल स्टूडेंट्स को बढ़ावा देने के लिए स्कूल और कॉलेज में भी कई तरह के मेडिकल प्रोग्राम होते हैं। व्यवसायिकता की भाग-दौड़ में शामिल हो चुके चिकित्सकों को भी अब अपने पेशे को लेकर चिंता सताने लगी है। इसके व्यवसायीकरण को लेकर सीनियर डॉक्टर जहां आहत हैं तो वहीं कुछ ऐसे डॉक्टर्स भी हैं, जो अभी भी डॉक्टरी पेशे के रूप में सेवा-भाव जिंदा रखे हुए हैं और उन्हें फिर से पुराने समय के लौटने की उम्मीद भी है।
डॉक्टरों के लिए महत्वपूर्ण दिन
डॉक्टरी एक ऐसा पेशा है, जिस पर लोग विश्वास करते हैं। इस विश्वास को बनाए रखने की जिम्मेदारी सभी डॉक्टरों पर है। डॉक्टर्स डे स्वयं डॉक्टरों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि यह उन्हें अपने चिकित्सकीय प्रैक्टिस को पुनर्जीवित करने का अवसर देता है। दुनिया भर के डॉक्टर जब अपने पेशे की शुरुआत करते हैं तो उनके मन में नैतिकता और जरूरतमंदों की मदद का जज्बा होता है, जिसकी वे कसम भी खाते हैं। इसके बाद कुछ लोग इस विचार से पथभ्रमित होकर अनैतिकता की राह पर चल पड़ते हैं। डॉक्टरों को यह मौका मिलता है कि वे अपने अंतर्मन में झांके, अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को समझें और चिकित्सा को पैसा कमाने का पेशा न बनाकर मानवीय सेवा का पेशा बनाएं, तभी हमारा यह डॉक्टर्स डे मनाना सही साबित होगा।
खास दिन पर ज्यादा काम
बीमारियों का एक मुख्य कारण स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की कमी है। बीमारी के इलाज से बेहतर उसका बचाव करना है। इसके लिए सभी ब्लड शुगर व उच्च रक्तचाप की जांच अनिवार्य रूप से करानी चाहिए। इस खास दिन को मनाने के लिए हम रोजाना की तुलना में और भी ज्यादा काम करते हैं और न्यू कमर्स को हम इस दिन फ्री फस्र्ट विजिट भी कराते हैं। वर्तमान में डॉक्टर पुराने सम्मान को प्राप्त करने के लिए संघर्ष करता हुआ नजर आ रहा है, जिसके पीछे कई कारण हैं।
- अपर्णा हेगड़े, सीनियर डॉक्टर, कामा हॉस्पिटल
जागरूकता के लिए आयोजन
पुराने दिनों में हर फील्ड के लोग रुपए कमाने की अंधी दौड़ में शामिल होते थे, लेकिन डॉक्टरी पेशा इससे अछूता था। इसलिए डॉक्टरों को काफी सम्मान मिलता था। वर्तमान में स्थिति कुछ और ही है। इसके अलावा शासकीय सेवा से जुड़े डॉक्टर अभी भी सीमित संसाधनों के बाद भी अपने कर्तव्य को ईमानदारी के साथ पूरा कर रहे हैं। हम इस खास दिन पर अस्पताल परिसर में ही लोगों को जागरूक करने के लिए आयोजन करते हैं।
- डॉ. प्रशांत रनाले, सेक्रेटरी, मार्ड
चुनौतीपूर्ण वचनबद्धता है हमारा काम
डॉक्टर होना सिर्फ एक काम नहीं है, बल्कि चुनौतीपूर्ण वचनबद्धता है। युवा डॉक्टरों को डॉ. बिधानचंद्र राय की तरह जवाबदारी पूरी कर डॉक्टरी पेशे को बदनाम होने से बचाने की पहल करनी होगी। यह खास दिन विचार करने के लिए होता है कि डॉक्टर हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। डॉक्टरों को अपनी जवाबदारियों का पालन ईमानदारी से करना सीखना होगा। डॉक्टरों की एक छोटी-सी भूल भी रोगी की जान ले सकती है।
- डॉ. अमीता जोशी, सुप्रींटेडेंट, कामा अस्पताल
अब पाइए अपने शहर ( Mumbai News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज