मुंबई

डॉमनिक ने सौंपी रिपोर्ट, 25 जगहों पर शुरू होगा प्रयोग

कवायद: बीजू की रिपोर्ट पर 20 दिन में होगा अमल

मुंबईFeb 16, 2019 / 12:10 am

arun Kumar

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पत्रिका की खबर का असर, ठाणे-मुंब्रा के बीच पटरी पार करने से लोगों को रोकने के लिए चलाई जाएगी
अरुण लाल

मुंबई . मायानगरी में लोकल ट्रेन हादसों में लोगों की जान बचाने के लिए मध्य रेलवे जल्द ही एक बड़ी पहल करेगी। इसके तहत ठाणे-मुंब्रा के बीच पटरी पार करने वाले लोगों को रोकने के लिए मुहिम चलाई जाएगी। पांच किमी के इस दायरे में 25 जगहों पर पटरी पार करने से लोगों को रोका जाएगा। साथ ही उन्हें समझाया जाएगा कि रेलवे लाइन पार करने में उनकी जान भी जा सकती है। मध्य रेलवे ने यह फैसला बीजू डॉमनिक के सुझावों के मद्देनजर लिया है। डॉमनिक ने अपनी रिपोर्ट शुक्रवार को मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) संजय कुमार जैन को सौंपी। उल्लेखनीय है कि डॉमनिक और रेलवे अधिकारियों की एक टीम को लोकल हादसों में जन हानि रोकने के लिए ठाणे-मुंब्रा के बीच रिसर्च के लिए कहा गया था। इस दौरान पाया गया कि ठाणे-मुंब्रा के बीच 25 ऐसे स्थान हैं, जहां लोग पटरी पार करते हैं। जैन ने कहा कि चिन्हित स्थानों पर हम तीन प्रयोग करेंगे ताकि पटरी पार करते समय लोकल हादसे में किसी की जान न जाए। उन्हें पूरा भरोसा है कि आने वाले दिनों में मरने वालों की संख्या कम होगी। हम इन प्रयोगों को तीन महीने देखेंगे। सफलता मिली तो यह उपाय सेंट्रल रेलवे के समूचे लोकल नेटवर्क पर किया जाएगा।
पहले कर चुके हैं अध्ययन

गौरतलब है कि 2010 में रेलवे की ही पहल पर बीजू डॉमनिक ने सेंट्रल रेलवे के किलर प्वाइंट्स पर 100 घंटे से ज्यादा रिसर्च किया था। बीजू ने वडाला में एक किमी की दूरी पर एक प्रयोग किया था। इस जगह पर एक वर्ष में 40 लोगों की जान जाती थी। जब बीजू ने इस स्थान पर कार्य किया तो पहले छह महीने में नौ लोगों की मौत हुई। इसके बाद वाले छह महीने में सिर्फ एक मौत हुई। बेहद सफल प्रयोग के चलते बीजू रातोंरात स्टार बन गए। इस कामयाबी के लिए उन्हें देश-विदेश की माडिया ने सराहा।
पत्रिका की पहल का नतीजा

लोकल ट्रेन हादसों में हर साल तकरीबन 3000 लोगों की मौत होती है। इतने ही लोगों का अंग-भंग भी होता है। लोकल यात्रियों और आम लोगों की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे को पत्रिका ने गंभीरता से उठाया। जनहित से जुड़ी पत्रिका की मुहिम का न सिर्फ रेल मंत्री पीयूष गोयल ने समर्थन किया बल्कि वेस्टर्न और सेंट्रल रेलवे के प्रशासन को आदेश भी दिया कि लोगों की जान बचाने के लिए ठोस उपाय करें। इसके बाद रेल प्रशासन की ओर से कई उपायों की घोषणा की गई है।
नौ साल बाद याद आए बीजू

वडाला एक्सपेरीमेंट की रिपोर्ट बीजू डॉमनिक ने 2010 में सौंपी थी लेकिन, रेलवे ने उनके बताए उपायों को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। लोकल हादसे रोकने के उपाय करने का आदेश जब गोयल ने दिया, तब रेल प्रशासन को नौ साल बाद बीजू की याद आई। उन्हें ठाणे-मुंब्रा के बीच रेलवे ट्रैक पर होनेवाले हादसों को रोकने से जुड़े उपाय सुझाने का जिम्मा सौंपा गया। यही रिपोर्ट डॉमनिक ने शुक्रवार को डीआरएम जैन को सौंपी है।
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