कुरुवंश के नाश के लिए यज्ञ से उत्पन्न हुई थी द्रौपदी
मुंबईPublished: Mar 25, 2019 12:40:45 am
अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन
कुरुवंश के नाश के लिए यज्ञ से उत्पन्न हुई थी द्रौपदी
मुंबई. अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के तत्वावधान में अंधेरी के जुहू स्थित इस्कॉन मंदिर के आडिटोरियम में दो दिवसीय द्रौपदी कथा व्याख्यान में शनिवार को वैष्णवाचार्य अभिषेक गोस्वामी ने द्रोपदी के जन्म की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि द्रौपदी पांचाल देश के राजा दु्रपद की कन्या थी इसलिए उन्हें पांचाली भी कहा जाता था। राजा द्रुपद ने द्रौपदी को कुरु वंश के नाश के लिए यज्ञ से उत्पन्न करवाया था। इसलिए उन्हें याज्ञनिक के नाम से सम्बोधित किया जाता है।
द्रौपदी के पिछले जन्म की कहानी सुनाते हुए कहा कि द्रौपदे पूर्व जन्म में ऋषि कन्या थी। अपने कर्मों के फलस्वरूप इसे कोई अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार नहीं कर रहा था। तब इन्होंने शिवजी की घोर तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने कहा, तुम मुंहमांगा वर मांग लो। तब उस कन्या ने कहा, मैं सर्वगुणयुक्त पति चाहती हूं। तब भगवान शंकर ने कहा, तुझे पांच भरतवंशी पति प्राप्त होंगे। कन्या बोली, मैं तो आपकी कृपा से एक ही पति चाहती हूं। तब शंकरजी ने कहा, तूने पति प्राप्ति हेतु मुझसे पांच बार प्रार्थना की है। मेरी बात अन्यथा नहीं हो सकती। दूसरे जन्म में तुझे पांच ही पति प्राप्त होंगे। इस अवसर पर शिवकांत खेतान, राजू अग्रवाल, परितोष रूंगटा, शिव केतन गुप्ता, डॉ राजेन्द्र अग्रवाल, अजय अग्रवाल, अलका रुइया, रचना सिंघल, नीलम खेतान, अमित गुप्ता उपस्थित थे।