महाराष्ट्र: स्वास्थ्य विभाग में होंगी 10 हजार भर्ती, ठाणे में बनेगा कैंसर हॉस्पिटल
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गढ़चिरौली में हुआ था आईडीए का पहला प्रयोग…विदित हो कि महाराष्ट्र के नागपुर, गढ़चिरौली और चंद्रपुर समेत करीब 18 जिलों में इसका भयावह प्रभाव देखा जा रहा है। बीमारी को रोकने के लिए नवंबर और फरवरी दो महीनों के दौरान राज्य में एक व्यापक सर्वेक्षण किया गया। इसमें तीन प्रभावी दवाइयां भी दी जाएंगी, जिनमें इव्हरमेकटिन, डायइथिल कार्बाजाईन व अल्बेंडोजोल (आईडीए) शामिल हैं। 2014 से समय-समय पर राज्य में हाथी रोग के उन्मूलन के लिए अभियान चलाए गए हैं, लेकिन इस दरम्यान सिर्फ दो प्रकार की ही दवाएं थीं। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानदंडों के अनुसार, तीन खुराक दी जाएगी। आईडीए का पहला प्रयोग गढ़चिरौली में किया गया था।
उल्लेखनीय है कि आने वाले दिनों में इस अभियान को छह सर्वेक्षण टीमों के साथ 16 नियंत्रण टीमों और 34 रात्रिकालीन क्लीनिकों के माध्यम से 13 जिलों में हाथी रोग को रोकने बाबत लागू किया जाएगा। इस साल 15 जुलाई से 30 जुलाई तक राज्य में हाथी अनुसंधान अभियान के तहत 34 हजार 064 मरीज मिले, जिनमें एलिफेंटियासिस के बाहरी लक्षण पाए गए, जबकि 19 हजार 060 मरीज में अंडरआर्म्स के लक्षण मिले। वहीं स्वास्थ्य विभागा के सहसंचालक डॉ. प्रकाश भोई की माने तो 2017 हाथी रोगियों की संख्या 40 हजार 204 थी। राज्य के नागपुर, गढ़चिरौली, चंद्रपुर, वर्धा, भंडारा और अकोला जिलों में रोगियों की संख्या बहुत बड़ी है और रात भर क्लीनिकों के माध्यम से रक्त परीक्षण और दवाएं की जाएंगी। वहीं उन्होंने आगे बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और केंद्र सरकार भी हृदय रोग के उन्मूलन के लिए सहायता प्राप्त करेंगे।
जो लोग बीमारी से संक्रमित हैं, उनकी बीमारी को नियंत्रित करने समेत आवश्यक मदद दी जाएगी। पोलियो की तरह ही हाथी रोग के उन्मूलन के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जा रहा है और स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ. प्रदीप व्यास ने हाल ही में दिल्ली में हाथी रोग के उन्मूलन के लिए राज्य की योजना पर एक प्रस्तुति भी दी है।