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मुंबई

विमान किराया बढऩे से कम हुआ फलों का निर्यात

कृषि जिंसों के निर्यात पर विमान किराए में वृद्धि का असर

मुंबईMay 13, 2019 / 06:00 pm

Devkumar Singodiya

 विमान किराए में वृद्धि का असर

विमान किराए में वृद्धि का असर

नवी मुंबई. इस समय बाहर देशों में फ्रूट्स एवं वेजिटेबल निर्यात पर विमान किराए में बेतहासा वृद्धि किए जाने से एक्सपोर्टरों में नाराजगी व्याप्त है। जेट एयरवेज बंद होने के बाद किराए में हुई वृद्धि को लेकर निर्यातकों का मानना है कि सरकार की यह कैसी पॉलिसी है, एक तरफ किसानों को अच्छा मुनाफा दिलाने का ढिंढोरा पीट रही है तो दूसरी तरफ सरकार की “ओपन स्कॉय पॉलिसी” के तहत विमान के किराए में 30 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करके किसानों का नुकसान और एयरलाइंस को डबल मुनाफा दिलाने की यह रणनीति बनाई गई है। निर्यातकों की बढ़ती इस मांग को देखते हुए “कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण” के माध्यम से केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय को निवेदन पत्र देकर विमान किराए में कटौती किए जाने की मांग की गई है। लॉजिस्टिक के संदर्भ में केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय में संबंधित अधिकारियों के साथ विदेशों में मॉल निर्यात करने वाले व्यापारियों की जल्द एक बैठक होने वाली है, उसी दौरान यह निर्णय लिया जा सकता है कि निर्यात पर विमान का किराया कम होगा भी या नही !

हापुस आम की आवक मार्केट में बढ़ी
के.बी.एक्सपोर्ट्स कंपनी के संचालक प्रकाश खक्कर ने बताया कि इस समय हापुस आम की आवक मार्केट में काफी बढ़ गई है और समय के मुताबिक विदेशों में भी मांग बढऩे लगी है, परंतु जेट एयरवेज बंद होने के बाद विमान किराए में हुई वृद्धि के कारण 35 से 40 फीसदी मॉल के निर्यात पर रोक लग गई है। इसके दो वजह हैं एक तो किराए में हुई 30 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी और दूसरा विमान में उपलब्ध जगह नही होने के कारण मॉल का निर्यात नही हो पा रहा है। विमान किराए में बढ़ोत्तरी एक्सपोर्ट व्यवसाय के लिए यह एक बड़ा धोखा है, निर्यातकों की मांग है कि खेती में जो भी पैदावार है उस पर किसानों को 30 प्रतिशत रिजर्वेशन दिया जाना चाहिए तथा बढ़े हुए विमान किराए को भी कम किया जाना चाहिए, लेकिन आज स्थिति यह है कि किसानों को उचित मूल्य तक नही मिल पा रहा है, एक्सपोर्ट बिजनेस में लाखों कामगार जो इस ब्यवसाय को क्रिएट करता है उन कामगारों पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है और अगर यहां से यूरोपीय जैसे देशों में मॉल का निर्यात नही होगा तो स्वाभाविक बात है कि कीमत में गिरावट आ जाएगी।

सब्जियों के निर्यात पर किराया तय करें सरकार
हमेशा से जब भी हापुस आम का सीजन आता है तब-तब किराया बढ़ा दिया जाता है। सरकार के इस ओपन स्कॉय पॉलिसी की वजह से लूटपाट बढ़ गई है, इस पॉलिसी के तहत सोना (गोल्ड) गारमेंट्स जैसे अन्य वस्तुओं पर किराया बढऩा उचित हो सकता है परंतु खाद्य पदार्थो में जैसे आम, अंगूर, लीची, सेव, पाइनएप्पल, वॉटरमेलन, संतरा, कलिंगड, पपीता, सीताफल जैसे आदि फलों के साथ ही शब्जियों में भिंडी, गाजर, करैला, लौकी, आलू, मिर्ची, टमाटर सहित तमाम प्रकार की सब्जियों के निर्यात पर बढ़े किराया को निर्धारित किया जाना चाहिए। साथ ही निर्यात के लिए जगह भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए। प्रकाश खक्कर के मुताबिक अमेरिका, लंदन, चाईना, कोरिया, यूरोपीय देश, जापान एवं ऑस्ट्रेलिया में हापुस आम का निर्यात बढ़ रहा है। हालांकि अमेरिका और लंदन में हापुस का निर्यात ज्यादा मात्रा में हो रहा है।

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