पौराणिक कथा के मुताबिक, भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी के दिन हुआ था। माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन से ही महाभारत का लेखन कार्य शुरू हो गया था। आप यह तो जानते ही होंगे कि महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना कि थी।
बता दें कि महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना के लिए भगवान गणेश से इसे लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की थी और भगवान गणेश ने कहा था कि वह लिखना शुरू करेंगे तो कलम नहीं रोकेंगे। अगर कलम रुक गई तो वहीं लिखना भी बंद कर देंगे। तब महर्षि वेदव्यास ने कहा कि भगवान आप विद्वानों में सबसे आगे हैं और मैं साधारण ऋषि, अगर मुझसे श्लोकों में कोई गलती हो जाए तो आप उसे ठीक करते हुए लिपिबद्ध करते जाएं। इस तरह महाभारत लेखन शुरू हुआ और लगातार 10 दिनों तक चला।
अनंत चतुर्दशी के दिन जब महाभारत लेखन का काम पूरा हुआ तो भगवान गणेश का शरीर जड़वत हो चुका था। बिल्कुल न हिलने की वजह उनके शरीर पर धूल-मिट्टी जम गई थी। तब भगवान गणेश ने सरस्वती नदी में स्नान करके अपना शरीर की धूल-मिट्टी साफ की थी। यही वजह है कि गणपति स्थापना 10 दिन के लिए की जाती है और फिर 10 दिनों के बाद अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन करते हैं।
गणेश उत्सव पर मन हो जाता है साफ: ऐसी मान्यता है कि गणेश उत्सव के 10 दिनों तक शांत मन के साथ रहना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि जिस प्रकार भगवान गणेश का मैल साफ हुआ था उसी प्रकार हमारे मन पर लगे मैल को हटाकर उसे साफ करने का समय इसी पर्व में आता है। सच्ची श्रद्धा और विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं।