ईसर-गौर बनकर लगाए ठुमके
बिंदोळे के दौरान कई सोसायटी-अपार्टमेंट में युवतियां एवं महिलाएं ईसर-गौर बनकर गणगौर पर्व की रोनक बढ़ा रही है। इस दौरान उनकी वेशभुषा बिल्कुल अलग तरीके की रहती है। बिंदोळे के आयोजन में आयोजक परिवार की ओर से गेट-टू-गेदर के कार्यक्रम भी किए जा रहे हैं। जिसमें सगे-संबंधी, परिजनों के अलावा अन्य कई आमंत्रित युवतियां एवं महिलाएं मौजूद रहकर सक्रिय रहती हंै।
शृंगार कर पारंपरिक परिधान में की पूजा
उल्लासनगर. शहाड मोहने रोड पर स्थित मंगेशी इमारत के प्रांगण हॉल में मारवाड़ी समाज की सुहागिनों ने गणगौर के लोक गीत गाकर समां बांधा। सुभाष अग्रवाल ने बताया कि किरण अग्रवाल, कविता खेतान, विशाखा शर्मा, अनीता शर्मा और उनकी सहेलियों ने श्रृंगार कर पारंपरिक परिधान पहनकर पूजा करने के पश्चात गणगौर के गीत गाए। “गोर गोर घूमती पूजो इसर पारवती-पारवती का आला गीला गौर क सोनरो टीको। गीतों के बाद सभी महिलाओं ने प्रतिभोज का आयोजन किया गया।