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जन्म दिया दो को…मगर मां हूं 700 बच्चियों की

locationमुंबईPublished: May 12, 2019 05:36:03 pm

Submitted by:

Devkumar Singodiya

देह व्यापार के दलदल से निकली एक महिला संवार रही सैकड़ों बेटियों की किस्मत

 मां तो बस मां होती है

मां तो बस मां होती है

मुंबई. मां तो बस मां होती है। मां के ममत्व, प्यार और त्याग को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। आज हम आपको मिला रहे हैं, एक ऐसी महिला से जो सैकड़ों लोगों की मां हैं। छोटे बच्चों से लेकर बूढ़ी औरतें तक, उन्हें मां कह कर बुलाती हैं। यह मां हैं लता माने, जिनका जीवन दुश्वारियों से भरा था। गरीब परिवार में जन्मी लता का विवाह 14 साल की उम्र में एक शराबी से हो गया। छुटपन में ही एक बेटे की मां बनी लता को उनके पति ने देह व्यापार के लिए बदनाम मुंबई के कमाठीपुरा में बेच दिया।
लता देह व्यापार नहीं करना चाहती थीं। लेकिन जबरन उसे इसमें लाया गया। इसी बीच वहीं रहने वाले एक युवक से प्रेम हुआ और लता फिर मां बनीं। दो बेटियां उनके जीवन में बहार बन कर आ गईं। लेकिन एक बार फिर लता के पति ने उन्हें धोखा दिया, वे टूट गईं। लता बताती हैं, वह बहुत बुरा वक्त था। दूसरी बेटी के जन्म के बाद वह मुझे छोड़ गया। मैं इतनी कमजोर थी कि देह व्यापार भी नहीं कर सकती थी। भीख मांग कर मैंने अपनी बेटियों को चार महीने किसी तरह पाला। इसके बाद फिर उसी दुनिया का हिस्सा बन गई। जब मेरी बच्चियों ने चलना शुरू किया, तब मुझे लगा कि अपने काम में व्यस्त मैं अपनी बेटियों के लिए कुछ नहीं कर पा रही हूं।

चिल्ड्रेन होम में बच्चियों को मिली जगह
महीनों तक चक्कर काटने और सैकड़ों लोगों की मिन्नतों के बाद मेरी बेटियों को चिल्ड्रेन होम में जगह मिली। इस बीच घाटकोपर के एक नगरसेवक ने मुझे कहा कि वेश्या की बेटियां पढ़ कर क्या करेंगी? बहुत कुछ सुनना-सहना पड़ा। मैंने सबको नजरअंदाज कर दिया। जीवन चलने लगा। मैं जिस इलाके में रहती थी, वहां के लोग मेरे काम छोडऩे पर भी सम्मान से नहीं देख सके।

बेटियों के लिए देह व्यापार से बाहर आई
अपनी बेटियों के भविष्य को संवारने के लिए मैंने देह व्यापार से बाहर निकलने का फैसला लिया। एक संस्था से जुड़ी और काम करने लगी। बेशक पैसे कम मिलते थे, पर पहली बार सम्मान मिला। मैं काम से आने के बाद घर पर रोटियां बना कर एक होटल को देती थी। इस तरह के दूसरे कई छोटे-मोटे काम भी करती थी। इससे मिले पैसे से मेरा घर चलने लगा। मैं अपनी बच्चियों को बेहतर जीवन दूंगी।

जिन्हें जन्म दिया, उन्हें कैसे मार सकती हूं
जब मैं ऐसी लड़कियों को देखती, जिनकी मां देह व्यापार में थीं और वे भी यही कर रही थीं, तो मेरी रूह कांप जाती। मैं सोचती क्या मेरी बेटियां भी यही करेंगी? नहीं, बिलकुल नहीं। कई बार मन में आया कि इनके साथ खुदकुशी कर लूं। फिर मन ने ही समझाया कि नहीं, यह तो कायरता है। मैंने जिन्हें जीवन दिया उन्हें कैसे मार सकती हूं।

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