बेटियों के लिए देह व्यापार से बाहर आई
अपनी बेटियों के भविष्य को संवारने के लिए मैंने देह व्यापार से बाहर निकलने का फैसला लिया। एक संस्था से जुड़ी और काम करने लगी। बेशक पैसे कम मिलते थे, पर पहली बार सम्मान मिला। मैं काम से आने के बाद घर पर रोटियां बना कर एक होटल को देती थी। इस तरह के दूसरे कई छोटे-मोटे काम भी करती थी। इससे मिले पैसे से मेरा घर चलने लगा। मैं अपनी बच्चियों को बेहतर जीवन दूंगी।
जिन्हें जन्म दिया, उन्हें कैसे मार सकती हूं
जब मैं ऐसी लड़कियों को देखती, जिनकी मां देह व्यापार में थीं और वे भी यही कर रही थीं, तो मेरी रूह कांप जाती। मैं सोचती क्या मेरी बेटियां भी यही करेंगी? नहीं, बिलकुल नहीं। कई बार मन में आया कि इनके साथ खुदकुशी कर लूं। फिर मन ने ही समझाया कि नहीं, यह तो कायरता है। मैंने जिन्हें जीवन दिया उन्हें कैसे मार सकती हूं।