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गरीब बच्चों को नई पहचान दिला रहा ‘पहचान लाइफ फाउंडेशन’

locationमुंबईPublished: May 21, 2019 05:52:25 pm

साफ्टवेयर इंजीनियर जैसे लोग भी समय निकाल इन बच्चों को पढ़ा रहे बच्चों के लिए कपड़ा एवं खाने-पीने की व्यवस्था भी फाउंडेशन करता है

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गरीब बच्चों को नई पहचान दिला रहा ‘पहचान लाइफ फाउंडेशन’

रमाकांत पांडेय/नवी मुंबई. स्लम एरिया में रहने वाले गरीब बच्चों की समाज में एक अलग पहचान दिलाने के लिए “पहचान लाइफ फाउंडेशन” ने यह बीड़ा उठाया है। पिछले पांच वर्षों से कोपर खैरने में रहने वाले गरीब परिवार के 60 से 70 बच्चों को पहचान फाउंडेशन की तरफ से यह पहल शुरू किया गया है। फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य है कि ऐसे बच्चों को वह उस मुकाम तक पहुंचाना चाहती है जहां से उन्हें इज्जत, दौलत व शोहरत सब कुछ मिल सके। इन बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रतिदिन शाम 7 से 9 बजे का समय निर्धारित किया गया है।
खुले आसमान के नीचे पढ़ाया जा रहा
इन्हें शिक्षित करने के लिए रिटायर्ड शिक्षक, बैंक कर्मचारी, रिलायंस में बतौर (एचआर) सॉफ्टवेयर इंजीनियर जैसे लोग अपना समय निकालकर नि:शुल्क पढ़ाने के लिए आते हैं। बीच-बीच मे बच्चों के लिए इवेंट रखा जाता है, तथा फ्री हेल्थ चेकअप, बच्चों को कपड़ा एवं खाने-पीने की भी ब्यवस्था फाउंडेशन की तरफ से किया जाता है। परंतु बच्चों को झोपड़पट्टियों के बीच खुले आसमान के निचे पढ़ाया जा रहा है, जिससे आने वाले बारिश को देखते हुए बच्चों के अभिभावक एवं फाउंडेशन के लोगों की चिंता बढऩे लगी है कि बारिश में आखिर इन बच्चों को खुले स्थान पर कैसे पढ़ाएंगे। पहचान लाइफ फाउंडेशन के माध्यम से अलग-अलग शहरों में बच्चों को हर क्षेत्र में प्रोत्साहन दिया।
अलग पहचान दिलाना ही फाउंडेशन का उद्देश्य
बिहार में पहचान स्पोर्ट्स स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने वाली गरीब परिवार के छात्राओं ने यूनाइटेड नेशन द्वारा दिल्ली में आयोजित फुटबॉल टूर्नामेंट में विजेता घोषित हुई थी और उन्हें ट्रॉफी देकर पुरस्कृत किया गया था। फाउंडेशन की अध्यक्ष अफसाना परवीन ने बताया कि स्लम एरिया में रहने वाले गरीब बच्चों को शिक्षा देकर उन्हें एक अलग पहचान दिलाना ही फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य है। पहचान नाम ही इसीलिए हमने चुना था कि ऐसे बच्चे जिसका परिवार काफी गरीब है और बच्चों को पढ़ाने के लिए परिवार सक्षम नही है, उन बच्चों को पढ़ाकर उन्हें उस मुकाम तक पहुंचाकर नई पहचान दिलाने के लिए यह फाउंडेशन कटिबद्ध है। कुछ ऐसे भी बच्चे हैं जो पूरी तरह से बिगड़ चुके हैं, रेल्वे स्टेशनों, बस स्टैंड एवं होटलों के बाहर भीख मांगने की उन्हें लत लग चुकी है, और यह सब उनके परिजनों की लापरवाही का नतीजा है। क्योंकि ऐसे बच्चों के अभिभावक भी उन्हें यह नही सलाह देते कि भीख मांगने नही जाना है, बल्कि पढऩे में ध्यान दो, परंतु उन्हे प्रतिदिन 50 से 100 रुपए मिल जाता है तो उन्हें भी लगता है कि उनका बच्चा अब कमाने लगा है।
बच्चों को देश का भविष्य बताने वाले लोग कहां हैं
रिलायंस में (एचआर) की पद पर विराजमान काजल शर्मा, हमीद आलम जो मीडिया क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, तेजा पांडुरंग कदम यूटीआई बैंक में बतौर कैशियर हैं, शिल्पा तिवारी सेवा निवृत्त शिक्षक, सॉफ्टवेयर इंजीनियर करण कुमार तथा आशुतोष सेंगर अपना कीमती समय निकालकर इन बच्चों को पढ़ाने के लिए आते हैं। बच्चों को देश का भविष्य बताने वाले वह लोग आखिर कहाँ हैं? पहचान फाउंडेशन ने ऐसे बच्चों को तलाशकर उन्हें शिक्षित करना चाहती है, उन्हें बहुत कुछ सिखाना चाहती है, बच्चों को शिक्षण के साथ कम्प्यूटर कोर्स, इलेक्ट्रिक कोर्स, जैसे बहुत कुछ सिखाने की मंशा रखती है, परंतु उनके पास ऐसी कोई जगह नही है जहां उन्हें यह सब कुछ सिखाया जा सके। जो बच्चे पढऩे में कमजोर हैं उन्हें, इलेक्ट्रिक का काम, इलेक्ट्रॉनिक, कम्प्यूटर इत्यादि बनाने की कला सिखाई जा सकती है। अफसाना ने कहा कि हमने और हमारी संस्था से जुड़े लोगों ने भी यह ठान लिया है कि ऐसे गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित नही रहने दिया जाएगा, पहचान फाउंडेशन ऐसे बच्चों को एक अलग पहचान दिलाने में कोई कसर बाकी नही रखना चाहती है।

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