scriptकर्नाला में घटी प्रजातियां, 41 से 37 हुए, जंगल में शेर व चीता नहीं दिखे | in Karnal, from 41 to 37, lions and leopards do not appear in the wood | Patrika News

कर्नाला में घटी प्रजातियां, 41 से 37 हुए, जंगल में शेर व चीता नहीं दिखे

locationमुंबईPublished: May 23, 2019 05:52:44 pm

Submitted by:

Devkumar Singodiya

कर्नाला अभयारण्य में कैमरों के माध्यम से की गई जानवर व पक्षियों की गणना

कर्नाला में घटी प्रजातियां, 41 से 37 हुए, जंगल में शेर व चीता नहीं दिखे

कर्नाला में घटी प्रजातियां, 41 से 37 हुए, जंगल में शेर व चीता नहीं दिखे

नवी मुंबई. कर्नाला वन्यजीव अभयारण्य में प्राणियों की गणना की गई जिसमें 37 प्रजाति के जानवरों एवं पक्षियों की गणना दर्ज की गई है। पिछले वर्ष की गणना में 41 प्रकार के प्रजातियों को दर्ज किया गया था। हालांकि प्राणियों की गणना के लिए लगाए गए प्रयुक्त कैमरों में चीता, शेर जैसे प्रजाति के जानवरों को नहीं देखा गया, इसलिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस अभयारण्य से शेर एवं चीता किसी अन्य जंगलों में पलायन तो नहीं कर गए।
लगभग 12.155 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला इस कर्नाला अभयारण्य में बड़ी संख्या में छोटे प्राणी और पक्षी रहते हैं, जंगली सुअर, जंगली मुर्गा, भेकर, लंगूर, बुलबुल, कोतवाल, किंगफिशर, नीलकंठ, कौआ, बगुला, कोकिल सहित अन्य प्रकार के पक्षी मौजूद हैं।
इस अभयारण्य में स्थानीय एवं स्थानांतरित पक्षियों की 147 प्रजातियां हैं। इसमें 37 प्रकार के प्रवासी पक्षियों का समावेश है। यहां हिंसक (शिकारी) जानवरों का भी अधिवास है। हर साल हजारों पर्यटक कर्नाला वन्यजीव अभयारण्य को देखने के लिए आते हैं।
पिछले साल लगभग 88 हजार पर्यटकों ने इस अभयारण्य का दौरा किया था। इस अभयारण्य में जानवरों की स्थिति की समीक्षा के लिए शनिवार सुबह 7 बजे से रविवार 7 बजे तक कैमरों से निगरानी रखी गई थी। कर्नाला अभ्यारण्य पक्षियों के लिए इस धरती का व्यक्तिगत स्वर्ग माना जाता है। प्राचीन कर्नाला किले के निचले सिरे पर स्थित इस अभ्यारण्य की स्थापना वर्ष 1968 में हुई थी और यह सभी प्रकार के पक्षियों के लिए शानदार आश्रय स्थान माना जाता है। पक्षी प्रेमी यहाँ पक्षियों की लगभग 150 प्रजातियों को चहचहाते हुए देखकर तथा साथ ही साथ लगभग 37 प्रकार के प्रवासी पक्षियों को देखकर आनंदित हो जाते हैं।
यहां पर मैना और उल्लू जैसे पाए जाने वाले पक्षियों का भी समावेश है। इस अभ्यारण्य का संपूर्ण क्षेत्र हरा-भरा पर्यावरण के अनुकूल है। यह एक ऐसा स्थान है जहां आने वाले पर्यटकों के चेहरे पर निश्चित ही मुस्कान ला देती है।

जंगल में ही होंगे
कुछ जानवर कैमरे में नहीं दिखें, इसका मतलब यह नहीं कि वह जंगल में नहीं है। समीप के जंगल में भी जा सकते हैं। ऐसे जानवरों का आना-जाना लगा रहता है।
पी.पी.चव्हाण, वन अधिकारी

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