विदित हो कि राज्य में कुशल जनशक्ति बनाने, युवाओं को अपने पैरों पर खड़े होने और रोजगार सृजन के मानक को बढ़ाने में केंद्र सरकार की राष्ट्रीय कौशल विकास योजना की पृष्ठभूमि पर कौशल विकास और उद्यमिता विभाग भी शुरू किया गया था। सरकार को समय-समय पर इस विभाग की प्रगति के बारे में सूचित करने के लिए 7 केआरए की समीक्षा करने की घोषणा की गई है कि राज्य के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों से किस तरह का और कितना कुशल जनशक्ति बनाया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि राज्य के प्रत्येक आईटीआई में ग्रीन आईटीआई की अवधारणा को लागू करने के लिए महत्वपूर्ण मानदंड लागू किए गए हैं। इसके अलावा हिरकनी महाराष्ट्र योजना के तहत विभाग वर्तमान में महिलाओं के प्रशिक्षण के माध्यम से हर जिले में महिलाओं के विचारों के लिए एक मंत्र प्रदान करने के लिए एक कार्यक्रम लागू कर रहा है। वहीं केआरए के अनुसार, इस पृष्ठभूमि के आधार पर हिरकनी कार्यक्रम के माध्यम से 36 जिलों में कम से कम 1 हजार बचत समूहों से महिलाओं का सशक्तिकरण पूरा होना चाहिए।
प्रत्येक कौशल विकास और उद्यमिता केंद्र में टाटा स्ट्राइव के सहयोग से कैरियर परामर्श और मार्गदर्शन केंद्र स्थापित किए जाने की आवश्यकता है। यह हर औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में नवीन विचारों को बढ़ावा देने के मानदंडों को रेखांकित किया गया है। इससे राज्य में आईटीआई छात्रों के लिए कई नवीन योजनाओं को लागू करने की अनुमति मिलेगी।
वहीं ‘कॉलेज, नॉलेज और विलेज’ की अवधारणा को लागू करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए गए हैं। इसलिए छात्रों को दिए गए ज्ञान का उपयोग गांव या इलाके की प्रगति के लिए किया जाना है न कि केवल कॉलेज या उनके शैक्षणिक पाठ्यक्रम तक ही सीमित है। कौशल विकास और उद्यमिता विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि छात्रों का संबंधित गांवों और जिलों के लिए भी उपयोग किया जाएगा।
यह मानदंड तय किए गए हैं, ताकि कौशल विकास और उद्यमिता विभाग की प्रगति अगले 6 महीनों के लिए और विस्तार हो सके। आगे जाकर विभाग अधिक कुशल होगा और हम रोजगार सृजन की दिशा और भी बेहतर ढंग से निर्धारित कर सकेंगे।
– सुजाता सौनिक, अपर मुख्य सचिव, कौशल विकास और उद्यमिता विभाग, महाराष्ट्र