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maharashtra: मजदूर से मजबूर पावरलूम नगरी

locationमुंबईPublished: May 16, 2020 08:49:59 pm

Submitted by:

Subhash Giri

पेमेंट फंसे होने के कारण रोलिंग पहले से ही जाम है। इस उद्योग का पूरा चेन सिस्टम ठप्प हो गया है

maharashtra: मजदूर से मजबूर पावरलूम नगरी

maharashtra: मजदूर से मजबूर पावरलूम नगरी

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
भिवंडी. जिस रफ्तार से एशिया का मानचेस्टर कही जाने वाली पावरलूम नगरी भिवंडी मजदूर विहीन होती जा रही है। उसे देखकर लगता है कि तालाबंदी खुलने के बाद भी पावरलूम उद्योग की हालत सुधरने के बजाय और बदतर ही होगी। मालूम हो कि लगभग साढ़े पांच लाख पावरलूम के अलावा इससे जुडी इकाईयों लगभग सौ साइजिंग और सौ डाईंग कंपनियां हैं। जिसमें कुल मिलाकर लगभग 4 लाख से अधिक मजदूर काम करते हैं।
जल्दी लौटने की संभावना कम
अश्विरा फैशन के रमेश गुप्ता बताते हैं कि तालाबंदी के कारण प्रवासी मजदूर पलायन कर रहे हैं। जिनकी जल्दी लौटने की संभावना कम ही है। सैलरी और खाने की व्यवस्था के बावजूद मजदूर रुकने का नाम नहीं ले रहा हैं। इसलिए तालाबंदी समाप्त होने के 2-3 माह बाद ही इस कारोबार के चालू होने की उम्मीद की जा सकती है। मुख्य रूप से तीन फैक्टरों पर चलने वाले कपड़ा उद्योग चालू होने के लिए सबसे पहले लेबर की जरूरत होगी। फिर फाइनेंस और उसके बाद डिमांड की। पेमेंट फंसे होने के कारण रोलिंग पहले से ही जाम है। इस उद्योग का पूरा चेन सिस्टम ठप्प हो गया है। बंद कारखानों को चालू करने में मजदूर के साथ-साथ पूंजी का जुगाड़ भी दुष्वार होगा।
मजदूरों का पलायन जारी
पावरलूम मालिक हाजी अब्दुल्लाह खान के मुताबिक उन्होंने अपने पावरलूम मजदूरों के लिए रसोई गैस सहित हर प्रकार की खाद्य सामग्री उपलब्ध कराया है। बावजूद उनके कदम थम नहीं रहे हैं। दूसरी बात यह है कि तालाबंदी के बाद पावरलूम चालू करना बहुत ही दुश्वार और खर्चीला साबित होगा। सवा महीने से ऊपर तालाबंदी खुलने का इंतजार कर रहे बेरोजगार मजदूर अपने बाल बच्चों को साथ लेकर पैदल सहित जो भी साधन मिल रहा है। आंख मूंदकर सैकड़ों मील दूर अपने घर की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं। जो कुछ हो कपड़ा उद्योग का भविष्य तो फिलहाल अंधकारमय ही दिख रहा है।
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