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नारी को सशक्त करने के लिए आओ एक कदम आगे बढ़ाएं

locationमुंबईPublished: Apr 11, 2019 05:44:21 pm

Submitted by:

Devkumar Singodiya

बेटा-बेटी का भेद मिटाएं : पुरुष बदलें अपनी मानसिकता, घर से करें शुरूआत

पुरुष बदलें अपनी मानसिकता

पुरुष बदलें अपनी मानसिकता

मुंबई. जहां नारी की पूजा होती है, वहां विधाता का निवास होता है, जो नारी का आदर-सत्कार और सम्मान नहीं करता वो जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल नहीं कर सकता है। नारी को साथ लेकर चलने और नारी में आत्मविश्वास जगाने की जिम्मेदारी पुरुष की होती है। पुरुष को अपनी मानसिकता में बदलाव लाना होगा, तभी नारी को सशक्त करने में मदद मिलेगी। नारी जब घर को अच्छे से संभाल सकती है तो वो हर स्तर पर श्रेष्ठ कार्य कर सकती है। हमें अब वक्त के साथ खुद में बदलाव की जरूरत है। वक्त अब ठहरने का नहीं, आगे बढऩे का है। हाथ से हाथ मिलाकर चलने का है। नारी और पुरुष का भेद मिटाने का समय आ गया है, हमें उसे हर स्तर पर बराबरी का दर्जा देना होगा, तभी घर, समाज और राष्ट्र तरक्की कर सकता है। भारत विकास परिषद ने पत्रिका के साथ समाज में इस बदलाव को लाने का बीडा उठाया है। बेशक बदलते वक्त के साथ हम भी बदले, हमारी सोच बदली और हमारी बेटियों ने विश्व के हर क्षेत्र में पुरुषों के कदम मिलाकर हर दिन, हर पल नए आयामों पर अग्रसर है। बेटी पढ़ाओ और नारी सशक्तिकरण में पुरुष की भूमिका विषय पर आयोजित टाक शो में भारत विकास परिषद, कांदिवली के पदाधिकारियों एवं अन्य संस्थाओं से जुड़े प्रमुख लोगों ने बेबाक से न केवल अपनी राय रखी, बल्कि अपनी संस्था के हर कार्यक्रम में इसे पूरी तरह प्रभावी करने का संकल्प भी किया।

नारी का सर्वांगीण विकास

वे मुंबई की बहुत सारी संस्थाओं के साथ सामाजिक रूप से जुड़े हैं, जिसमें उन्होंने स्वयं नारी सशक्तिकरण और उसके सर्वांगीण विकास पर जोर दिया है, उन्होंने कहा कि आज भी हमारा समाज बेटा-बेटी के अंतर में जकड़ा हुआ है, पर हम सबको अपनी सोच बदलने की जरूरत है और जहां नारी सम्मान की बात हो या फिर हमारी बेटियों में अंतर की बात हो। ये बातें हर परिवार में बचपन से ही सीखी और सिखाई जानी चाहिए, ताकि हमारे घर का बेटा हर रिश्ते में नारी का सम्मान बचपन में ही नहीं, जिंदगी के हर मोड़ पर कर सके। उन्होंने कहा कि एक नारी जब एक पूरे परिवार के साथ तालमेल बिठाकर चल सकती है तो वह हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकती है।
विकास अग्रवाल टिबड़ेवाल
व्यवसायी, अध्यक्ष भारत विकास परिषद कांदिवली

बेटा बेटी दोनों समान

हम सब सिर्फ कहने को कहते आ रहे हैं कि बेटा हो या बेटी दोनों समान है, पर आज भी खुद हमारे परिवार में किसी ना किसी रूप में नारी से भेदभाव हो रहा है, आज भी कई अधिकारी सिर्फ पुरुषों तक आकर सीमित हो रहे हैं। इस रिवायत को हमें एक समानता के संकल्प के साथ बदलना चाहिए, आज भी हमारा समाज घर में बेटे के आने की खुशी में हर्षोल्लास करता है, वहीं समाज घर में बेटी के आने पर वो खुशी नहीं मना पाता, हमें ऐसे ही भेदभाव को, इस अंतर को सबसे पहले स्वयं के मानस पटल से मिटाना होगा।
राजेश अग्रवाल
सचिव, भारत विकास परिषद कांदिवली

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