वे मुंबई की बहुत सारी संस्थाओं के साथ सामाजिक रूप से जुड़े हैं, जिसमें उन्होंने स्वयं नारी सशक्तिकरण और उसके सर्वांगीण विकास पर जोर दिया है, उन्होंने कहा कि आज भी हमारा समाज बेटा-बेटी के अंतर में जकड़ा हुआ है, पर हम सबको अपनी सोच बदलने की जरूरत है और जहां नारी सम्मान की बात हो या फिर हमारी बेटियों में अंतर की बात हो। ये बातें हर परिवार में बचपन से ही सीखी और सिखाई जानी चाहिए, ताकि हमारे घर का बेटा हर रिश्ते में नारी का सम्मान बचपन में ही नहीं, जिंदगी के हर मोड़ पर कर सके। उन्होंने कहा कि एक नारी जब एक पूरे परिवार के साथ तालमेल बिठाकर चल सकती है तो वह हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकती है।
विकास अग्रवाल टिबड़ेवाल
व्यवसायी, अध्यक्ष भारत विकास परिषद कांदिवली
बेटा बेटी दोनों समान
हम सब सिर्फ कहने को कहते आ रहे हैं कि बेटा हो या बेटी दोनों समान है, पर आज भी खुद हमारे परिवार में किसी ना किसी रूप में नारी से भेदभाव हो रहा है, आज भी कई अधिकारी सिर्फ पुरुषों तक आकर सीमित हो रहे हैं। इस रिवायत को हमें एक समानता के संकल्प के साथ बदलना चाहिए, आज भी हमारा समाज घर में बेटे के आने की खुशी में हर्षोल्लास करता है, वहीं समाज घर में बेटी के आने पर वो खुशी नहीं मना पाता, हमें ऐसे ही भेदभाव को, इस अंतर को सबसे पहले स्वयं के मानस पटल से मिटाना होगा।
राजेश अग्रवाल
सचिव, भारत विकास परिषद कांदिवली