गौरतलब है कि महाराष्ट्र में सबसे अधिक कोरोना के मरीज मुंबई मनपा क्षेत्र में हैं। महामारी कानून के अनुसार मनपा आयुक्त को कोई भी निर्णय लेने के लिए विशेषाधिकार मिला है। 3 मई को लॉकडाउन खत्म होने के बाद मुंबई में शराब और वाइन की दुकानों के साथ साथ कई गैर आवश्यकत दुकानों को खोलने की अनुमति दी गई थी। परंतु शराब की दुकानों पर बढ़ती भीड़ और क़ानून व्यवस्था को देखते हुए आयुक्त ने अपने विशेषाधिकार का उपयोग कर दोबारा 6 मई से मुंबई में सिर्फ आवश्यक वस्तुओं की दुकानों को खोलने का निर्देश दिया। अन्य वस्तुओं की दुकानों को खोलने की अनुमति रद्द कर दी गई।
मनपा आयुक्त के इस निर्णय के खिलाफ फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोशिएशन के अध्यक्ष वीरेश शाह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख विरोध जताया है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि मुख्यमंत्री की ओर से सहूलियत दिए जाने के बाद मनपा की ओर से जारी परिपत्रक को देखकर हम आश्चर्यचकित हो गए। हमारी संघटना ने या संघटना के किसी सदस्य ने कभी कोई सहूलियत देने की मांग सरकार से नहीं की। परंतु सरकार ने अर्थव्यवस्था को देखते हुए शराब की दुकानों को खोलने का बेहतर निर्णय लिया था।
50 दिन के लॉकडाउन के बाद लोगों को कई घरेलू वस्तुओं की जरूरत महसूस होने लगी। शॉर्ट्स, नाइटवेयर,अंडरगारमेंट्स,टीशर्ट आदि कपड़ों की जरूरत लोगों को हैं। महिलाओं को बर्तन, बर्नर, टोस्टर, वैक्यूम क्लिनर, रोटी मेकर,जूसर, मिक्सर और गृह उपयोगी वस्तुओं सहित छोटे बच्चों से संबंधित वस्तुओं की जरूरत है। इन सभी वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं में शामिल कर हमें लोगों की सेवा करने की अनुमति दी जाए। क्योंकि इन वस्तुओं की दुकानें बड़े पैमाने पर हैं।कोरोना संकट की गम्भीरता को हम समझते हैं। परंतु इसके साथ साथ अर्थव्यवस्था को भी पुनर्जीवित करना जरूरी है। ऐसा राज्य और केंद्र सरकार का कहना है। अगर अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित नहीं किया गया तो हमें स्थाई रूप से दुकानें बंद कर देनी पड़ेगी।
वीरेन शाह ने कहा है कि सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और सैनीटाइजेशन के बारे में हम अवगत हैं। जब तक कोरोना की दवा नहीं आ जाती हमें इसके साथ ही रहना पड़ेगा। एकजुट होकर हम कोरोना से जीतेंगे। अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए हम आपके अनुकूल आदेश की प्रतिक्षा कर रहें हैं।