नाम के अनुरूप दाम
सफेद-सुनहरे रंग वाली घोल मछली को गोल्ड फिश या सी गोल्ड भी कहते हैं। नाम के अनुरूप मछलियों में यह सोने के भाव बिकती है। हांगकांग, मलेशिया, थाइलैंड, इंडोनेशिया और जापान जैसे कई देशों में इनकी भारी मांग होती है। इनके हर अंग की ऊंची कीमत मिलती है। एक भी हिस्सा बेकार नहीं जाता।
सर्जरी के लिए टांका
घोल मछली से कई पारंपरिक दवाएं बनाई जाती हैं। सर्जरी के बाद लगाए जाने वाले टांके भी इनसे बनाए जाते हैं। विशेषता यह कि घोल फिश का टांका शरीर में गल जाता है। इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। महंगे सौंदर्य प्रसाधन बनाने के लिए भी इनकी डिमांड है।
किनारे नहीं आतीं
चंद्रकांत के बेटे सोमनाथ ने बताया कि हम आठ लोग नाव लेकर अरब सागर में वधावन की तरफ 20 से 25 नॉटिकल मील दूर गए थे। वहां पानी साफ है। वहीं हमारे जाल में ये मछलियां फंसीं। सोमनाथ ने बताया कि घोल मछली साफ गहरे पानी में मिलती हैं। प्रदूषण के कारण ये किनारे नहीं आती हैं।
मॉनसून में प्रजनन
मॉनसून के दौरान मछलियां प्रजनन करती हैं। इसीलिए मछुआरे महीने भर समंदर में नहीं जाते। रक्षा बंधन के बाद मछली पकडऩे का काम शुरू होता है। वर्षों पुरानी यह परंपरा मछुआरे आज भी निभा रहे हैं।