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Maha coroana effect, सैकड़ों निर्माण मजदूर भूखमरी की कगार पर

locationमुंबईPublished: Apr 02, 2020 07:25:13 pm

Submitted by:

Binod Pandey

अटल योजना (Atal yojna) खाना बन्द, मंगल से शुरू करने का था वादा, मुकर गये, अब लोग जाएं तो जाएं कहां पुणे (pune) महानगर में 20 हजार से अधिक भवन निर्माण ( Building construction) पर मजदूरी कर जीवन (life) यापन करने वाले मजदूरों को अटल योजना के तहत 5 रुपये में भोजन (food) दिया जाता था। कोरोनावायरस (corona virus) के खौफ से बचाने के लिए सरकार (government) ने लॉक डाउन (Lock down) किया, तभी से महानगर(Maha nagar) क्षेत्र में निर्माण कार्य बंद है । ऐसे में मजदूरों को उनकी मजदूरी भी नहीं मिल पाई ओर इधर व

 निर्माण मजदूर भूखमरी की कगार पर

Maha coroana effect, सैकड़ों निर्माण मजदूर भूखमरी की कगार पर

अटल योजना का खाना बन्द, मंगल से शुरू करने का था वादा, मुकर गये, अब लोग जाएं तो जाएं कहां
पुणे. महानगर में 20 हजार से अधिक भवन निर्माण पर मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले मजदूरों को अटल योजना के तहत 5 रुपये में भोजन दिया जाता था। कोरोनावायरस के खौफ से बचाने के लिए सरकार ने लॉक डाउन किया, तभी से महानगर क्षेत्र में निर्माण कार्य बंद है ।ऐसे में मजदूरों को उनकी मजदूरी भी नहीं मिल पाई ओर इधर विभाग ने अटल योजना का खाना भी बंद कर दिया। इससे सैकड़ों मजदूरों की भूखे मरने की स्थिति हो चुकी है ।श्रमायुक्त तक अपनी आवाज पहुंचाने में सफल हुए मजदूरों से वायदा किया गया कि मंगलवार से यह भोजन फिर से शुरू कर दिया जाए जाएगा, लेकिन भोजन मिलना तो दूर उनकी किसी ने खैर खबर तक नहीं ली। ऐसी स्थिति में श्रमिकों की हालत बिगडऩे जैसी हो चुकी है। पुणे में कंस्ट्रक्शन मजदूरों का एक समुह ऐसा है जो भूखों मरने को मजबूर हैं। इन मजदूरों को सरकार की अटल योजना के तहत पांच रुपये में खाना मिलता था लेकिन कोरोना के चलते वह भी बंद हो गया है। योजना के तहत काम में लगाई गई एजेंसी ने कोरोना के डर से डिलीवरी देने से इनकार कर दिया है।श्रमायुक्त कार्यालय के अधिकारियों ने मंगलवार से इस योजना को फिर से शुरू करने का वादा किया था, लेकिन सभी मजदूरों को वायदे का लाभ नहीं मिला है। अटल आधार योजना, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर पिछले साल देवेंद्र फडणवीस सरकार ने राज्य में शुरू की थी। इसके तहत ज्यादातर निर्माण स्थलों पर मजदूरों को सब्सिडी वाला भोजन श्रम विभाग में पंजीकृतों को दिया जाता था।
पंजीकृत 20 हजार
पुणे में 20 हजार से अधिक निर्माण मजदूरों को योजना का लाभ दिया जा रहा था। निर्माण स्थलों पर काम बंद हो गया है और सभी मजदूरों को भुगतान नहीं किया जा रहा है। अब मजदूरों का खाना भी बंद हो गया है। हालांकि, कुछ को डर है कि अगर वे हजारों मजदूरों को भोजन वितरित करते हैं तो कहीं वे कोविड-19 के शिकार न हो जाएं। वे काम करने से मना कर रहे हैं।
दुर्दशा मजदूरों की
झारखंड के एक मजदूर भोला सिंह, अपने परिवार के साथ एक निर्माणाधीन स्थल पर रह रहे हैं। भोला ने कहा, उनके पास आवश्यक वस्तुओं का कोई स्टॉक भी नहीं है और न ही वे लोग अपने गांव जा सके। उन लोगों के भूखे रहने की नौबत आ गई है। पश्चिम बंगाल के एक मजदूर दीपू दास ने कहा, हमारा काम अब बंद हो गया है और हमारे पास जीवित रहने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है।

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