राज्य सरकार की ओर से यह चिट्ठी केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को भेजी गई है। इसमें साफ लिखा है कि जब तक केंद्रीय मंत्री इस मामले में कोई फैसला नहीं करते हैं, तब तक राज्य में यह कायदा लागू नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि देश के कई राज्यों में नए मोटर वाहन कानून में भारी जुर्माने के प्रावधान का विरोध हो रहा है। गुजरात की भाजपा सरकार ने पहले ही जुर्माना राशि आधा कर दी है। जहां तक महाराष्ट्र का सवाल है तो विपक्षी दलों का कहना है कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए सत्ताधारी दल नाटक कर रहे हैं।
सरकार को लग रहा डर
महाराष्ट्र सरकार को डर है कि मोटर वाहन कानून के तहत लगने वाले भारी-भरकम जुर्माने का निगेटिव असर जनता पर पड़ सकता है और आगामी विधानसभा चुनाव में लोग भाजपा-शिवसेना के खिलाफ वोट कर सकते हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस कानून को अपने राज्य में लागू करने से मना कर दिया है। ममता पहले ही कह चुकी हैं कि नया मोटर वाहन कानून लोगों पर बोझ है।
केंद्रीय परिवहन मंत्री गडकरी ने कहा है कि दबाव में राज्य सरकारें, जुर्माना कम न करें। जुर्माना कम करना ठीक नहीं है। लोगों में कानून के प्रति भय और सम्मान नहीं है। हालांकि मोटर वाहन अधिनियम समवर्ती सूची में है और राज्य सरकारें इस कानून में बदलाव कर सकती हैं। लेकिन, राज्यों को कानून में बदलाव नहीं करना चाहिए।
दुनिया में सड़क हादसों में सबसे ज्यादा मौतें भारत में होती हैं। 2 फीसदी जीडीपी का नुकसान इन हादसों के कारण होता है। जुर्माना कम करने या नया कानून लागू करने या न करने के बाद सड़क दुर्घटना में यदि लोगों की मौत होती है, तो राज्य सरकार जिम्मेदार है। गडकरी ने कहा कि 30 साल पहले 100 रुपए जनरल चालान था, जिसके अब 300 रुपए लगते हैं। नया कानून आने के बाद आरटीओ में लाइसेंस और प्रदूषण प्रमाण-पत्र के लिए लंबी-लंबी लाइन लग रही है। लोगों में नए कानून का सम्मान बढ़ रहा है।