सिर्फ संवेदन व्यक्त करना भी गुनाह हो गया . यह तो आपातकाल की याद दिलाता है . पूर्व प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी के कार्यकाल को याद करते हुए राउत ने कहा कि आपातकाल के समय किस्सा कुर्सी नामक फिल्म पर रोका लगाने पर जो लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्र का गला घोंटने का आरोप लगते थे वे लोग आज क्या कर रहे हैं .इसका जवाब कोई देगा .
राउत ने मिडिया में कहा कि दीपिका किस विचारधारा की है हमें नहीं पता लेकिन उसकी भूमिका कि तारीफ करनी चाहिए .उसने कश्मीर के बारे में नहीं बोला वह तो सिर्फ उन छात्रों से मिलाने गई थी जिन्हें हमले में चोट लगी थी .संवेदन व्यक्त करने गई थी . ऐसे में उसकी फिल्म का विरोध उचित नहीं है . उसका घेराव कर उसे देशद्रोही बताना उचित नहीं है .दीपिका के पक्ष में सिर्फ फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप , अभिनेत्री शबाना आज़मी जैसे ही कुछ लोग बोल रहे है . कुछ कलाकरों ने नाराजगी व्यक्त की है लेकिन अनुपम खेर जैसे कई कलाकार कहाँ हैं .
अमिताभ बच्चन कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे थे , लेकिन फिर भी उनकी शहंशाह फिल्म को बालासाहेब ठाकरे ने समर्थन किया था . कर्नाटक में तानाजी फिल्म को हटाया जा रहा है उसका विरोध हो रहा है क्यूँ ?
————- क्या है मामला दीपिका पादुकोण ने कल जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) का दौरा किया और परिसर में हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों के साथ एकजुटता से हुईं। यहीं से कहानी में ट्विस्ट आ गया और उनके देश प्रेम पर सवालिया निशान लग गए।
राष्ट्रीय बैडमिंटन चैम्पियन दीपिका एक अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी की बेटी और खुद राष्ट्रीय बैडमिंटन चैम्पियनशिप्स में हिस्सा लेने वाली एक लड़की अचानक एक कार्यक्रम का हिस्सा बनी और लगभग देशद्रोही सी साबित कर दी गई। राज्य स्तर पर दीपिका ने स्टेट बेसबॉल चैम्पियनशिप्स भी खेली हैं। वे आज बॉलीवुड की नामचीन अभिनेत्रियों में से एक हैं आउट छपाक जैसी सामाजिक महत्व की फिल्म के साथ वे प्रोड्यूसर भी बन चुकी हैं। उनकी फिल्मों के लिए भी उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जाना जाता है