नैतिकता की बात करने वाले भाजपा को कहा कि नैतिकता हमें भाजपा से सीखने की जरूरत नहीं है । मौका परस्त की राजनीति करने वाले हमें नैतिकता सिखा रहे हैं जो खुद नैतिकता का हनन कर रहे हैं ।पहले खुद बिहार में नितीश कुमार , रामविलास पासवान , कश्मीर में मेहबूबा मुफ़्ती ,पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी , चद्रबाबू नायडू के साथ विचारधारा से विपरीत जाकर गठबंधन किया है। अब वे हमें सीखा रहे हैं।
विचारधारा के विपरीत राज्य में कांग्रेस एनसीपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने पर लगे आरोप के जवाब में कहा कि देशहित से बड़ी कोई विचारधारा नहीं। देशहित की विचारधारा गंगा नदी की तरह पवित्र है वह कोई विचारधारा नहीं जो देशहित में ना हो। राज्य के विकास और देश के विकास के लिए सभी को एक साथ आना चाहिए। शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी की विचारधार भले अलग है लेकिन देशहित में एक है।
उन्होंने कहा कि शिवसेना को धक्का देने का प्रयास और षडयंत्र कई लोगों ने किया। लेकिन उलटे वे खुद खड्डे में गिर गए। हमारा कोई बाल बांका नहीं कर सका। उनका इशारा भाजपा की तरफ ही था
अपने मुख्यमंत्री पद को लेकर उठे सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं मुख्यमंत्री बनूंगा और मेरी कोई महत्वाकांक्षा भी नहीं थी। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मै पुनः आऊंगा ,पुनः आऊंगा बोलने वाले तो नहीं आ सके लेकिन मैं आ गया। शिव सैनिकों का मुख्यमंत्री हूँ , बालासाहेब को वचन दिया था कि शिवसैनिक मुख्यमंत्री बनेगा। उनके वचन को पूरा किया। मेरा सीएम बनना वचन पूर्ति का पहला कदम है।
मंत्रालय में बैठकर सरकार चलाने से ज्यादा बेहतर मातोश्री में बैठना पसंद करता हूं. भाजपा के साथ रिश्ते को लेकर पुरानी यादों को दोहराते हुए कहा कि भाजपा शिवसेना के बीच लोकसभा चुनाव तक सब कुछ ठीक चल रहा था। मुझे भाई कहने वालों ने विधानसभा चुनाव के बाद अचानक अपना वचन तोड़ दिया। क्यों तोड़ा यह मैं नहीं समझ पाया।आखिर मैंने उनसे क्या मांगा था चाँद -तारे तो नहीं माँगा था। उनके इस हरकत के बाद कांग्रेस -एनसीपी के साथ जाने के आलावा मेरे पास कोई विकल्प नहीं था। भाजपा का तो पता नहीं लेकिन शिवसेना नई दिशा में चल पड़ी है।
विधानसभा जाने की तैयारी उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगले 2 से 3 महीने में मुझे विधान मंडल का सदस्य बनना है।विधानमंडल के दोनों सदन परिषद या विधानसभा में से एक को चुनना होगा। अगले दरवाजे पिछले दरवाजे की बात पर उन्होंने कहा कि मेरे लिए कोई दरवाजा मायने नहीं रखता है मैं तो सीधा ऊपर से छप्पर फाड़कर गिरा हूं। विधान परिषद में अगर कुछ हुआ तो ठीक है नहीं तो कोई कोई विधायक इस्तीफा देगा और उसकी रिक्त सीट से चुनाव लडूंगा। यह बाद में तय होगा। /