कैबिनेट ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को संबंधित प्रस्ताव भी भेज दिया है । प्रस्ताव में विधान परिषद में राज्यपाल कोटे की रिक्त दो सीटों में से एक सीट पर उद्धव ठाकरे के नाम की सिफारिश करने का अनुरोध किया गया है । इसके पीछे कारण बताया गया है कि कोरोना के चलते अगले कुछ महीनों तक किसी भी प्रकार के चुनाव होने की संभावना नही है । कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में जुटी सरकार कोई चुनाव के पक्ष में भी नही है।
यह पहला मौका है जब विधान परिषद में राज्यपाल द्वारा मनोनीत कोई सदस्य मुख्यमंत्री होगा । इससे पहले मुख्यमंत्री के विधानसभा अथवा विधान परिषद में चुनाव प्रक्रिया के माध्यम से गए हैं। पिछली अघाड़ी सरकार के कार्यकाल में मुख्यमंत्री रहे पृथवीराज चव्हाण के सामने भी यही संकट था। तो संजय दत्त में अपने विधान परिषद सदस्यता से इस्तीफा देकर उन्हें मौका दिया था। सुशील कुमार शिंदे ने तो मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर पुनः शपथ लिया था।
विधानसभा का सदस्य नही होने पर मुख्यमंत्री की शपथ लेने वाले व्यक्ति को अगले 6 महीने के भीतर विधान परिषद का सदस्य होना जरूरी है । उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री शपथ 28 नवम्बर को ली।और आगामी 28 मई 2020 को उनका 6 महीना का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इस बीच उन्हें विधानमंडल के दोनों में से किसी एक सदन का सदस्य होना जरूरी है।
राज्यपाल कोटे को रिक्त इन दो विधान परिषद सीटों का कार्यकाल भी 20 जून 2020 को पूरा हो रहा है। यदि इन सीट पर उद्धव ठाकरे की नियुक्ति होती है तो अगले 20 जून के बाद उन्हें पुनः विधान परिषद में भेजने की प्रक्रिया भी करनी होगी ।
वरिष्ठ मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि उद्धव ठाकरे का राज्यपाल के कोटे से विधान परिषद में भेजे जाने की सिफारिश की गई है। राज्य में कोरोना का प्रकोप है ऐसे में किसी भी प्रकार का चुनाव हो पाना संभव नहीं है।
विधानमंडल के पूर्व प्रधान सचिव अनंत कलसे ने कहा कि राज्यपाल का अधिकार है । वे किसी भी प्रमुख व्यक्ति को विधान परिषद में सदस्य के लिए मनोनीत कर सकते हैं । यह पूरी तरह से संवैधानिक प्रक्रिया है ।