पत्रिका संवाददाता से बातचीत में देवड़ा ने पार्टी में गुटबाजी पर बेबाकी से अपनी बात रखी। मिलिंद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल के काफी करीबी माने जाते हैं और मुंबई कांग्रेस में उनका दखल है। गत दिनों मुंबई के अधिकांश नेताओं ने जब राहुल गांधी से विधायक संजय निरुपम को मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटाने की बात की थी, तब मिलिंद तटस्थ रहे, इससे संजय को राहत मिल गई। हांलाकि मिलिंद ने यह कहकर कि कांग्रेस का कोई भी अध्यक्ष मुझे डिस्टर्ब नहीं कर सकता है, कई तरह संकेत दिए हैं। उन्होंने साफ किया कि अगर पार्टी के किसी नेता के कार्य और बयानों से पार्टी को कोई नुकसान होगा, तो वे चुप नहीं बैठेंगे। उनकी इस बात को कुछ इस तरह भी समझा जा रहा है कि अगर मुंबई कांग्रेस में गुटबाजी नहीं रुकी, तो कुछ नेताओं को ठंडे बस्ते में डाला जा सकता है।
मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह का भी अच्छा जनाधार है। अगले साल लोकसभा चुनाव हैं, इसलिए कांग्रेस कृपाशंकर व अन्य नेताओं को भी नाराज नहीं कर सकती है। मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों पर मिलिंद ने कहा कि कांग्रेस के पक्ष में ही परिणाम आएंगे।
मैंने सभी का साथ दिया
देवड़ा ने कहा कि मैने हमेशा कांग्रेस को मजबूत किया है। संजय निरुपम से पहले चांदुरकर और उनसे भी पहले कृपाशंकर सिंह मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष थे, तब भी मैंने उनका भी सहयोग किया था। हर पार्टी में कार्यकर्ता और नेता की विचारधारा अलग होती है, इसका मतलब यह नहीं है कि हम आपस में ही लड़ते रहें। सभी कार्यकर्ताओं को पार्टी के हित में काम करना चाहिए।