कोरोना संकट के बीच चुनाव आयोग ने विधान परिषद सहित सभी चुनावों को स्थगित कर दिया। इसके बाद जैसे-जैसे तारीख बढ़ी, सत्ताधारी गठबंधन में शामिल दलों की धड़कन तेज होती गई। कोई रास्ता नहीं सूझा तब राज्य मंत्रिमंडल ने राज्यपाल के पास सिफारिश भेजी कि राज्यपाल कोटे की रिक्त दो सीटों में से एक पर उद्धव को मनोनीत करें। राज्यपाल की तरफ से जब कोई जवाब नहीं मिला तब कैबिनेट ने दूसरी बार यही सिफारिश की। इस पर राजनीति भी खूब हुई। राजभवन की भूमिका पर सवाल उठाए गए। लेकिन, राज्यपाल का मौन नहीं टूटा।
राजभवन की चुप्पी के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की। इसके बाद गुुरुवार को कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे और मुख्यमंत्री के निजी सचिव मिलिंद नार्वेकर राजभवन पहुंचे। दोनों नेताओं की राज्यपाल के साथ तमाम मुद्दों पर चर्चा हुई। विधान परिषद में उद्धव के मनोनयन से जुड़े कानूनी पहलुओं पर भी विचार-विमर्श हुआ। इसके बाद राज्यपाल ने चुनाव आयोग को विधान परिषद की खाली सीटों के लिए चुनाव कराने की चिट्ठी लिख कर राजनीति के धुरंधरों को चित कर दिया। क्योंकि जो रास्ता उन्होंने चुना, उस बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था।