लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद पालघर जिले के बोईसर-तारापुर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित फैक्ट्रियों को शुरू करने की प्रक्रिया भले ही शुरू कर दी गई हो, लेकिन श्रमिकों के अभाव में अब तक अधिकांश फैक्ट्रियों में मशीने बंद पड़ी है। कुछ फैक्ट्रियां शुरू भी हुई है, तो वह श्रमिकों के अभाव में तीन शिप्ट की बजाय सिर्फ एक ही शिप्ट उत्पादन कर पा रही है। पिछले दो महीने से तारापुर औद्योगिक क्षेत्र में सन्नाटा पसरा हुआ है। फैक्ट्रियों में उत्पादन शुरू करने के लिए श्रमिक जरूरी है, लेकिन काम धंधे ठप होने के बाद यहां कार्य करने वाले हजारों प्रवासी श्रमिक या तो अपने गृह प्रदेशों में पहुँच चुके हंै। या जाने के लिए तैयार बैठे हैं। श्रमिकों के अभाव में अभी भी सैकड़ों फैक्ट्रियों में काम ठप पड़ा हुआ है। बोईसर-तारापुर औद्योगिक क्षेत्र में करीब 1600 फैक्ट्रियां है। जिनमें महिलाओं सहित लाखों लोग कार्य करते थे। लॉकडाउन के कारण लोकल ट्रेन बंद है, तो वही सड़को पर से ज्यादातर निजी वाहन भी नदारत है, जिससे स्थानीय श्रमिक सुविधा नहीं मिलने से औद्योगिक इकाइयां शुरू होने के बावजूद काम पर नही पहुंच पा रहे है। एसीलीन सूटिंग लिमिटेड के मालिक डॉक्टर राजकुमार छापरिया कहते हैं, कि सरकारों ने उद्योगों को फिर से शुरू करने के लिए छूट तो दे दी, लेकिन औद्योगिक इकाइयों को आवश्यक सुविधाएं आज तक नहीं मिली है। इसमें सबसे जरूरी है, कच्चे माल की आपूर्ति और माल बेचने के लिए बाजार का उपलब्ध होना। छपारिया कहते है, कि जिन श्रमिकों ने समस्याओं से जूझकर कर्मभूमि छोड़ी है। उनकी जल्द वापसी संभव नहीं है। इसलिए श्रमिकों के अभाव में फैक्ट्रियों के उत्पादन की लागत बढ़ेगी। टीमा के सलाहकार वीरेंद्र ठाकुर ने बताया कि श्रमिको की समस्या को सुलझाने के लिए जिलाधिकारी डॉ.कैलाश शिंदे के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन हुआ है। जिसमे उच्चाधिकारियों और टीमा के सदस्यों का समावेश है। श्रमिको की वापसी की सुनिश्चित की जा रही है।