बीएमसी के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि गोलार नामक रोबोट के जरिए मरीजों तक दवाई, खाना, पानी और चाय पहुंचाई जा रही है। कोविड वार्ड के बाहर एक कर्मचारी की ड्यूटी होती है। यह कर्मचारी रोबोट के ट्रे में जरूरी चीजें रख देता है। इसके बाद अस्पताल के कंट्रोल रूम से रोबोट का संचालन किया जाता है। जैसे ही रोबोट बेड के पास खड़ा होता है, मरीज जरूरत की चीजें उसके ट्रे से ले सकते हैं। पुणे और कल्याण-डोंबिवली के कुछ अस्पतालों में भी कोरोना मरीजों के लिए रोबोट की सेवाएं ली जा रही हैं।
गोलर रोबोट बैटरी से चलता है। एक बार चार्ज होने के बाद यह चार-पांच घंटे सेवा देता है। कोविड वार्ड से 100 मीटर की दूरी से इसका संचालन किया जाता है। बहुत जरूरी होने पर ही कोरोना वार्ड में नर्स और वार्ड ब्वाय जाते हैं। यह रोबोट स्टार्टअप के तहत बीएमसी के इंजीनियरों के सहयोग से बनाया गया है।
बीएमसी के जी दक्षिण विभाग के सहायक आयुक्त शरद उघडे ने बताया कि क्षेत्र के चिकित्साधिकारी देवेंद्र गोलार हैं। उन्हीं के नाम पर इस रोबोट को गोलार नाम दिया गया है। फिलहाल हम प्रायोगिक आधार पर इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
उघडे ने बताया कि आगे चल कर गोलार रोबोट में मेडिकल उपकरण लगाए जाएंगे। इसमें टैब भी फिट किया जाएगा। इसके माध्यम से मरीजों से डॉक्टर सीधे बातचीत कर सकते हैं। मरीजों के ऑक्सीजन का स्तर और शरीर का तापमान भी रोबोट ही जांचेगा। अन्य कोरोना केयर सेंटर पर भी इसकी सेवाएं ली जाएंगी।