दो साल से खेती पर मौसमी मार पड़ रही है। सूखे और बाढ़ के कारण पिछले साल किसानों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। इस साल जून में समय पर बारिश हुई। किसान खरीफ फसल की बुवाई में जुट गए। किसी ने पत्नी के आभूषण बेच कर तो किसी ने कर्ज लेकर सोयाबीन का बीज खरीदा। मजदूरों की उपलब्धता के चलते समय पर बुवाई भी कर दी गई। लेकिन, सोयाबीन के बीज अंकुरित नहीं हुए। यह देख किसान खुद को ठगा पा रहे हैं। अब, दोबारा सोयाबीन की बुवाई के लिए मजबूर हैं।
महाराष्ट्र में तकरीबन 40 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की खेती होती है। इसमें से 35 प्रतिशत सोयाबीन की खेती अकेले मराठवाड़ा में होती है। कृषि विभाग को लातूर, बीड, उस्मानाबाद, परभणी और हिंगोली से घटिया बीज को लेकर 37 हजार शिकायतें मिली हैं। अकेले औरंगाबाद जिले के सात हजार किसानों ने नुकसान भरपाई की मांग की है। विदर्भ के अमरावती सहित अन्य जिलों से भी शिकायतें मिली हैं। एक हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई की लागत औसतन 15 हजार रुपए आती है।
खेतों में बीज अंकुरित नहीं होने से जुड़ी शिकायतों पर अधिकारियों के अपने तर्क हैं। उनका कहना है कि इसके तीन कारण हो सकते हैं। पहला कारण घटिया बीज हो सकता है। दूसरी वजह नॉन-हायब्रिड (अपरिष्कृत) बीज का इस्तेमाल हो सकती है। तीसरा कारण यह हो सकता है कि किसानों ने घर का बीज ही इस्तेमाल किया हो। कंपनियां भी किसानों से ही सोयाबीन खरीदती हैं, जिसे परिष्कृत कर बीज के रूप में किसानों को बेचती हैं। परिष्कृत बीज अंकुरित होता है या नहीं, इसकी जांच कंपनियां करती हैं।
कृषि राज्य मंत्री विश्वजीत कदम ने बताया कि हमने किसानों की शिकायतों को गंभीरता से लिया है। नकली बीज उपलब्ध कराने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश अधिकारियों को दिया गया है। बाजार में उपलब्ध बीज के सैंपल की लैब में जांच कराई जा रही है। अब तक 10 कंपनियों के बीज में गड़बड़ी पाई गई है। दोषी कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू है।
सीड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ महाराष्ट्र ने कहा कि मामले की जांच के लिए सरकार को समिति बनानी चाहिए। संगठन के अध्यक्ष अजीत मुले ने राज्य के कृषि आयुक्त को पत्र लिखा है। मुले का कहना है कि बिना जांच कराए पुलिस में मामला दर्ज करने से बीज कंपनियां राज्य से पलायन कर सकती हैं।
कृषि राज्य मंत्री विश्वजीत कदम ने बताया कि हमने किसानों की शिकायतों को गंभीरता से लिया है। नकली बीज उपलब्ध कराने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश अधिकारियों को दिया गया है। बाजार में उपलब्ध बीज के सैंपल की लैब में जांच कराई जा रही है। अब तक 10 कंपनियों के बीज में गड़बड़ी पाई गई है। दोषी कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू है।
सीड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ महाराष्ट्र ने कहा कि मामले की जांच के लिए सरकार को समिति बनानी चाहिए। संगठन के अध्यक्ष अजीत मुले ने राज्य के कृषि आयुक्त को पत्र लिखा है। मुले का कहना है कि बिना जांच कराए पुलिस में मामला दर्ज करने से बीज कंपनियां राज्य से पलायन कर सकती हैं।