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Maharashtra: पालघर में दिल दहला देने वाली घटना, गर्भवती महिला को समय पर नहीं मिला इलाज, जुड़वां बच्चों की मौत

locationमुंबईPublished: Aug 16, 2022 10:39:31 am

Submitted by:

Dinesh Dubey

Palghar Twins Died: महाराष्ट्र के कई दूरदराज के इलाकों में बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं। पीड़ित का नाम वंदना बुधर बताया जा रहा है। उसके गांव में कोई सड़क नहीं है, इसलिए गर्भवती होने के बाद उसे स्वास्थ्य देखभाल के लिए अस्पताल ले जाना एक बड़ी चुनौती बन गयी।

Palghar Twins Died not get timely treatment

गर्भवती को पालकी में लटकाकर पैदल चलते ग्रामीण

Palghar News: एक तरफ देश आजादी का अमृत महोत्सव माना रहा है, तो दूसरी तरफ जरूरी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में लोगों की जान जा रही है। ताजा मामला महाराष्ट्र के पालघर जिले से सामने आया है, जहां गर्भवती महिला को समय पर इलाज नहीं मिलने से उसके जुड़वां बच्चों की मौत हो गई। यह दिल दहला देने वाली घटना जिले के मोखाड्या के सुदूर बोटोशी गांव के मरकटवाडी में हुई. ।
महाराष्ट्र के कई दूरदराज के इलाकों में बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं। पीड़ित का नाम वंदना बुधर बताया जा रहा है। उसके गांव में कोई सड़क नहीं है, इसलिए गर्भवती होने के बाद उसे स्वास्थ्य देखभाल के लिए अस्पताल ले जाना एक बड़ी चुनौती बन गयी। हालांकि परिजन उसे कपड़े की पालकी बनाकर तीन किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल ले जाते थे। लेकिन हाल ही में समय पर स्वास्थ्य देखभाल नहीं वंदना ने अपने जुड़वां बच्चों को खो दिया।
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इस गांव में यह दूसरी घटना है। सड़क न होने के कारण यहां इलाज के लिए महिलाओं, बुजुर्गो को ऐसे ही अस्पताल ले जाया जाता है। मोखाडा तालुका में कई गांव ऐसे हैं जहां सुविधाओं के अभाव में ग्रामीणों को हर दिन परेशानी का सामना करना पड़ता है।
आजादी के 75 साल बाद भी पालघर जिले के मोखाडा तालुका में आदिवासियों को सड़क, बिजली, पानी और स्वास्थ्य जैसी जरूरी सुविधाएं नहीं मिली हैं। आज भी यहां के आदिवासियों को सड़क न होने के कारण अस्पताल तक पैदल जाना पड़ता है। समय पर इलाज नहीं मिलने से लोगों की जान भी चली जाती है।
मरीजों, गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने के लिए ग्रामीण सालों से बिना एंबुलेंस का इंतजार किए कपड़े की झोली पर निर्भर हैं। जब वंदना को भी प्रसव पीड़ा हुई तो बरसात के मौसम में उसे ऐसे ही ले जाना पड़ा, नतीजतन समय पर अस्पताल नहीं पहुंचने की वजह से उसके जुड़वां बच्चों की मौत हो गयी।
यहां के कई आदिवासी क्षेत्रों में गर्भवती महिलाये प्रसव की तारीख नजदीक आने पर उन रिश्तेदारों के यहां रहने चली जाती हैं, जिनका घर अस्पताल से नजदीक होता है। लेकिन वंदना के लिए यह संभव नहीं हो पाया और उसने अपने बच्चों को खो दिया।

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