वहीं कोंकण और पश्चिमी महाराष्ट्र में सबसे कम मौतें हुई हैं। राहत एवं पुनर्वास विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, ज्यादातर मौतें बाढ़ या बिजली गिरने की वजह से हुई हैं। बिजली गिरने करीब 70 लोगों की मौत हुई है, इनमें से सबसे ज्यादा मामले मराठावाड़ा, विदर्भ और उत्तर महाराष्ट्र से हैं। लोगों के बीज जागरूकता फैलाकर और कुछ जरूरी कदम उठाकर बिजली गिरने से हुई मौतों के आंकड़े में कमी लाई जा सकती थी।
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बता दें कि अधिकारी ने आगे कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने पिछले तीन सालों में गढ़चिरौली, पुणे और चंद्रपुर जिलों में 4500 अरेस्टर लगाए हैं। इन तीनों जिलों में बिजली गिरने की संभावना मध्य महाराष्ट्र की तुलना में बहुत कम होती है। जो अरेस्टर लगाए गए हैं वह अच्छी गुणवत्ता के नहीं हैं और 70 मीटर के दायरे को कवर करते हैं। इन्हें लगाने से शायद कोई फायदालाभ नहीं मिलेगा। अधिकारी ने बताया कि नार्थ महाराष्ट्र में जलगांव, नंदुरबार, धुले, मराठवाड़ा में लातूर, बीड़, नांदेड़, हिंगोली, उस्मानाबाद और विदर्भ में वाशिम, अमरावती, चंद्रपुर में बिजली गिरने की संभावना ज्यादा रहती है। लाइटिंग अरेस्टर एक ऐसी उपकरण होती है जो बिजली से होने वाले संभावित क्षति के खिलाफ काम करती है। वहीं, आज महाराष्ट्र के ज्यादातर जिलों में येलो अलर्ट जारी किया गया है। हालांकि मुंबई में अगले तीन दिनों तक बारिश होने की संभावना बहुत कम है।
5800 से अधिक जानवरों की भी गई जान: बता दें कि इस मानसून में इंसानों के अलावा जानवरों पर भी कहर टूटा है। महाराष्ट्र में भारी बारिश की वजह से अब तक करीब 5860 जानवरों की मौत हुई है। इसके अलवा बाढ़ से लगभग 14.50 लाख हेक्टेयर फसल भी खराब हो गई है। महाराष्ट्र सरकार ने बारिश से प्रभावित 36 लाख किसानों को मुआवजा देने के लिए करीब 4500 करोड़ रुपये जारी किए हैं।