ठाणे नगर निगम के 66 पार्षदों का जाना उद्धव ठाकरे के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। वैसे मुंबई नगर निगम के बाद ठाणे दूसरी सबसे अहम और बड़ी नगर निगम गिनी जाती है। दरअसल इन पार्षदों के जाने की सबसे बड़ी वजह यह है कि ठाणे में एकनाथ शिंदे का मजबूत पकड़ है। उन्होंने अपनी सियासत भी यहीं से शुरू की थी। साल 1997 में पार्षद का चुनाव उन्होंने ठाणे से ही जीता था। वे साल 2001 में नगर निगम सदन में विपक्ष के नेता भी रहे थे।
साल 2004 में एकनाथ शिंदे ने ठाणे विधानसभा सीट से चुनाव में जीत हासिल की थी। फिर 2009, 2014 और 2019 में ठाणे की कोपरी पछपाखडी सीट से जीतते आए हैं। इससे पहले राज्य में जारी सियासी घमासान के कारण उद्धव ठाकरे को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था। जिसके बाद एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई और वे सीएम बने हैं। जबकि भाजपा के देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बने हैं।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव के बाद एकनाथ शिंदे ने बगावत की थी। शिंदे शिवसेना के बागी विधायकों के साथ गुजरात के सूरत पहुंचे थे। फिर यहां से सभी के साथ गुवाहाटी गए थे। शिवसेना में बगावत का ही नतीजा था कि उद्धव की अगुवाई वाली महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई।