दूसरी तरफ भले ही शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट किया है कि वह पार्टी के 39 अन्य विधायकों के साथ विद्रोह करने वाले एकनाथ शिंदे को शिवसेना के मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार नहीं करते हैं, पार्टी नेता दीपाली सईद ने यह कहते हुए विवाद खड़ा कर दिया कि उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे मिलने के लिए सहमत हो गए हैं और उनके बीच हुए मतभेद खत्म हो सकते है।
बता दें कि दीपाली सैयद ने साल 2019 में शिवसेना के टिकट पर ठाणे जिले के मुंब्रा-कलवा निर्वाचन क्षेत्र से महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन वह हार गई थीं। इससे पहले दीपाली सैयद साल 2014 में आम आदमी पार्टी (आप) के टिकट पर अहमदनगर जिले से चुनाव लड़ी थीं, लेकिन वहा भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। दीपाली सैयद ने ट्वीट किया, “मुझे इस बात की खुशी है कि अगले 2 दिनों में शिवसैनिकों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे की मुलाकात होगी। एकनाथ शिंदे ने शिवसैनिकों की भावनाओं को समझा और उद्धव ठाकरे ने उन्हें परिवार के मुखिया के तौर पर भूमिका में बड़े दिल से स्वीकार किया। बीजेपी के कुछ नेता इस बैठक के लिए मध्यस्थता कर रहे हैं।”
दिलचस्प बात यह है कि दीपाली सैयद ने अपने ट्वीट में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के साथ बीजेपी नेताओं पंकजा मुंडे और विनोद तावड़े को भी टैग किया है। हालांकि, शिवसेना ने दीपाली सैयद के इस बयान को खारिज कर दिया है कि वह पार्टी में कोई बड़ा पद नहीं रखती हैं और यह उनका निजी बयान होगा। इस बीच शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि मुझे ऐसे किसी घटनाक्रम (उद्धव और शिंदे के बीच कोई मुलाकात) की जानकारी नहीं है। मैं पार्टी में बहुत छोटा कार्यकर्ता हूं।
बता दें कि शिवसेना सांसद संजय राउत इस समय दिल्ली में हैं और उन्होंने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार को शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के शपथ लेने के 15 दिन बाद भी मंत्रिमंडल का विस्तार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि अब तक कैबिनेट का विस्तार नहीं हुआ क्योंकि संवैधानिक दिक्कत है। शिंदे खेमे के 40 बागी विधायक अयोग्यता के खतरे का सामना कर रहे हैं और मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। अगर वे शपथ लेते हैं तो मंत्री के रूप में उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।