ज्ञात हो कि एकनाथ खडसे और रावसाहेब दानवे की दोस्ती जगजाहिर है। दानवे ने कहा कि अब उन्होंने दूसरा रास्ता चुना है। हालांकि वे दोस्त हैं, लेकिन वैचारिक मतभेद है। खडसे के भाजपा में शामिल होने की खबरों पर वे बोले कि इस विषय पर उनकी पार्टी में कुछ भी चर्चा नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि अब उनका और मेरा रास्ता नहीं मिल पाएगा।
गौर हो कि कुछ महीने पहले एकनाथ खडसे राष्ट्रवादी पार्टी में शामिल हुए थे। उसके बाद ही वे विधान परिषद के माध्यम से विधायक बने हैं। अब अचानक उनके भाजपा में फिर से प्रवेश की चर्चा शुरू हो गई। इससे पहले एकनाथ खडसे ने कहा कि किसी के साथ राजनीतिक संबंध बनाने में क्या गलत है। मैं आज भी केंद्रीय मंत्री अमित शाह, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से संपर्क कर सकता हूं, लेकिन इसका मतलब पार्टी में शामिल होना नहीं है।
उल्लेखनीय है कि भाजपा में शामिल होने की खबरों को खारिज कर एकनाथ खडसे ने कहा है कि मेरा उस पार्टी को छोड़ने का कोई इरादा नहीं है, जो मेरे साथ खड़ी हो और मेरा सपोर्ट करती हो। दरअसल जलगांव के मुक्ताईनगर के रहने वाले खडसे ने अपनी सियासी पारी का आगाज भाजपा के साथ किया था। साल 1989 से वह लगातार छह बार चुनाव जीतकर आए। लेकिन बाद में विवाद के चलते उन्होंने पार्टी छोड़ दी।