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संविधान के खिलाफ है संशोधित नागरिकता कानून, भिवंडी में हजारों लोगों ने किया विरोध

locationमुंबईPublished: Jan 19, 2020 12:28:12 am

Submitted by:

Basant Mourya

सीएए (CAA), एनपीआर (NRP) और एनआरसी (NRC) के खिलाफ संविधान बचाओं संघर्ष समिति की ओर से यह सभा आयोजित की गई थी। सभा को महाराष्ट्र के काबीना मंत्री जीतेंद्र आव्हाड (cabinet minister), पूर्व न्यायाधीश बीजी कोलसे पाटील, किसान नेता योगेंद्र यादव, छात्र नेता उमर खालिद और ओबीसी (OBC) समाज के नेता शब्बीर अंसारी ने संबोधित किया।

संविधान के खिलाफ है संशोधित नागरिकता कानून, भिवंडी में हजारों लोगों ने किया विरोध

संविधान के खिलाफ है संशोधित नागरिकता कानून, भिवंडी में हजारों लोगों ने किया विरोध

भिवंडी. संविधान बचाओ संघर्ष समिति की ओर से धोबी तालाब स्थित परशुराम टावरे स्टेडियम (Stadium) में शनिवार को करीब 6 घंटे तक नागरिकता संशोधन कानून (CAA), एनपीआर (NRP) और एनआरसी (NRC) के खिलाफ बुलाई गई जनसभा छह घंटे तक चली। सभी वक्ताओं ने नागरिकता संशोधन कानून को संविधान विरोधी (UNCONSTITUTIONAL) करार देते हुए भाजपा (BJP) सरकार को जम कर कोसा। सभी ने कहा कि इस काले कानून का असर केवल मुस्लिम (Muslim) समुदाय पर ही नहीं बल्कि समूचे बहुजन समाज पर पड़ेगा। यह बिल साफ तौर पर बहुजन समाज के खिलाफ है। मुस्लिम तो है बहाना, बहुजन ही असली निशाना। सभा को राज्य के काबीना मंत्री जीतेंद्र आव्हाड, पूर्व न्यायाधीश बीजी कोलसे पाटील, किसान नेता डॉ. योगेंद्र यादव और जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद सहित ओबीसी नेता शब्बीर अंसारी आदि ने संबोधित किया।
सभी वक्ताओं ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 14 सभी नागरिकों को बिना धार्मिक और जातीय भेदभाव के समानता का अधिकार देता है। इसके बावजूद सीएए को धर्म के आधार पर स्थापित करने व उसमें एक विशेष समुदाय को बाहर धकेलने से स्पष्ट है कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के साथ मिलकर धार्मिक भेदभाव व सांप्रदायिकता को बढ़ावा दे रही है।
राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनपीआर) के जरिए देश में सभी धर्मों से ताल्लुक रखने वाले गरीबों व वंचितों को देश से बाहर करने की साजिश रची गई है। नागरिकता संशोधन कानून को धर्म के आधार पर पारित व लागू करने से स्पष्ट हो गया है कि यह सरकार देश के संविधान को नहीं मानती है। संविधान की प्रस्तावना में साफ लिखा है कि देश के लोग संप्रभु, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना के प्रति कटिबद्ध हैं।
बड़ी संख्या में महिलाएं में भी हुईं शामिल
शहर ने इतनी विशाल सभा कभी नहीं देखी थी। शहर के इतिहास में मुस्लिम महिलाएं पहली बार इतनी बड़ी संख्या में घर से अपने बच्चों के साथ बाहर निकली थीं। छोटे-छोटे बच्चे भी हाथों में पोस्टर बैनर लिए हुए थे। पूरी सभा हम लेके रहेंगे आजादी, लड़ेंगे और जीतेंगे आदि इंकलाबी नारों से बार-बार गुंजायमान होती रही। तिरंगा झंडा और आंबेडकर के पोस्टर बैनर बार-बार सभा में लहराते रहे। सभा स्थल से लगभग एक किमी पहले ही सारी सड़कें बंद कर दी गई थीं। यह पहला मौका था जिसमें तमाम राजनीतिक दल एनसीपी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, सभी वामपंथी दल, दलित और आदिवासी संगठन सहित सभी मुस्लिम संगठनों के लोग एक साथ शामिल थे।
पुलिस का चाक चौबंद प्रबंध
मुस्लिम बहुल भिवंडी में इस विरोध सभा के मद्देनजर भिवंडी जोन-2 के पुलिस उपायुक्त राजकुमार शिंदे द्वारा सुबह से ही पुलिस का कड़ा बंदोबस्त किया गया था। नियमित पुलिस के अलावा 5 सौ अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई थी। अतिरिक्त ट्रैफिक पुलिस कर्मी भी लगाए गए थे। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी की निगरानी ड्रोन कैमरे से भी की जा रही थी।

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