धूम्रपान छोड़ने के लिए युवाओं में ई-सिगरेट पीने की प्रवृत्ति अधिक है। इस मामले में मुंबई पुलिस ने कड़ी कार्रवाई की है। पुलिस ने स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों और युवाओं को इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट बेचने वाले 12 स्थानों पर छापेमारी की है। इस छापेमारी के दौरान मुंबई पुलिस ने कुल 14 लाख 60 हजार 420 रुपये की इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट जब्त की गई है।
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पुलिस को इस बात की खबर मिली थी कि मुंबई में अलग-अलग जगहों पर ई-सिगरेट का स्टॉक कर बिक्री की जा रही है। सूचना के आधार पर पुलिस ने पाली नाका, खार, लोखंडवाला अंधेरी, मलाड और ऑनलाइन बिकने वाली 12 जगहों पर 11 दुकानों पर छापेमारी की। बता दें कि कुछ लोगों का कहना है कि ई-सिगरेट का इस्तेमाल धूम्रपान छोड़ने के लिए किया जाता है। लेकिन यह गलत है और ई-सिगरेट के कारण डिप्रेशन की संभावना डबल हो जाती है। ई-सिगरेट के आदी लोगों में दिल के दौरे, रक्त के थक्के जमने जैसी कई समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है और निकोटीन कैंसर का कारण बन सकता है। इस मामले में मुंबई पुलिस ने 11 लोगों को गिरफ्तार किया है और 14 लाख की अवैध सिगरेट जब्त की है। ई-सिगरेट पीने से धूम्रपान छोड़ने की बजाय लत लगने की संभावना अधिक हो जाती है।
नॉर्मल सिगरेट और ई-सिगरेट में फर्क: ई-सिगरेट और नॉर्मल सिगरेट में सबसे बड़ा फर्क है कि ई-सिगरेट में तंबाकू की मात्रा बिल्कुल नहीं होती है। ई-सिगरेट को बिल्कुल सिगरेटनुमा बनाया जाता है। इसके अंत में एक LED बल्ब लगा होता है। कश लगाने पर ये LED बल्ब जलता है तो सिगरेट के तंबाकू जलने जैसा अनुभव देता है। इसके कई फ्लेवर आते हैं। ई-सिगरेट के अंदर लिक्विड निकोटिन का कार्टेज मौजूद होता है। खत्म होने के बाद कार्टेज को बदला जा सकता है। हालांकि कुछ ई-सिगरेट यूज-एंड-थ्रो वाला होता है।