अभी तक एरोली विधानसभा सीट पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा है, लेकिन इस बार एनसीपी की राह उतनी आसान नहीं है। इसी बीच चुनावी रणक्षेत्र में ग्रामीणों व मराठा का मुद्दा उठाकर चुनावी गणित बिगाडऩे का माहौल तैयार कर दिया गया है। महायुति के प्रत्याशी गणेश नाईक के खिलाफ कोई कद्दावर उम्मीदवार तो नही है, एनसीपी ने गणेश शिंदे को चुनाव मैदान में उतार तो दिया है, परंतु अब मतदाताओं के रुख पर सबकुछ निर्भर है। शिवसैनिक दो धड़े में बंटे हुए हैं, एक गुट गणेश नाईक के समर्थन में है तो दूसरा ग्रुप उनके विरोध में खड़ा है। ऐसे में शरद पवार के प्रति सहानुभूति दिखाने वालों की भी तादात बढ़ रही है, और ऐन मौके पर मराठा बनाम ग्रामीण का मुद्दा उठाकर चुनावी समीकरण ही बदलने की कवायद तेज हो गई है।
कई मुद्दों पर हो रहा चुनाव
इस चुनाव में आर्थिक मुद्दे के साथ बिजली विभाग की आंख मिचौली का खेल, बिजली विभाग का उपभोक्ताओं को मनमाना बिल भेजने और पीएमसी बैंक खाताधारकों की नाराजगी भी सत्तारुढ दल के लिए चुनौती बनी है। धीरे-धीरे अब हवा का रुख बदल रहा है। इस रणक्षेत्र में कौन किसके साथ है, कौन किसकी खेल बिगाडऩे की भूमिका निभा रहा है, मतदाताओं की मंशा क्या है, किसके सिर पर जीत का सेहरा बंधेगा, यह सब अभी भविष्य तय करेगा।