लेफ्टिनेंट जनरल नरवणे का कमीशन जून-1980 में सातवीं सिख लाइट इन्फैंट्री रेजीमेंट में हुआ। अपने लंबे करियर में उन्होंने कई प्रतिष्ठित पोस्ट पर कार्यभार संभाला है। इसी साल सितबंर में सेना के वाइस चीफ बनाए गए। पूर्वी कमान के सीइनसी और ट्रेनिंग कमांड के कमांडर भी रह चुके हैं। नरवणे को जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व में एंटी-टेरेरिस्ट ऑपरेशन्स में भी महारत हासिल है। श्रीलंका में इंडियन पीस कीपिंग फोर्स (आइपीकेएफ) का भी हिस्सा रहे। इतना ही नहीं, म्यांमार में भारत के डिफेंस अटैचे भी रह चुके हैं। आर्मी चीफ बिपिन रावत 31 दिसंबर को रिटायर होने वाले हैं। नरवणे का कार्यकाल 1 जनवरी-2020 से 2022 तक रहेगा।
पूर्वोत्तर में कई ऑपरेशन को दिया अंजाम जम्मू-कश्मीर में काउंटर इंसर्जेंसी ऑपरेशन का नेतृत्व कर चुके नरवणे ने पूर्वोत्तर में भी कई ऑपरेशन को अंजाम दिया। डिफेंस सर्किल में उन्हें चीन मामलों का विशेषज्ञ भी कहा जाता है। आतंकियों के विरुद्ध जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स की बटालियन संभाल चुके हैं। असम राइफल्स के इंस्पेक्टर जनरल भी रहे हैं। इसके अलावा अंबाला स्थित खड़ग स्ट्राइक कॉर्प्स में उन्होंने सेवाएं दी हैं। श्रीलंका में शांति सेना के साथ ही म्यांमार में डिफेंस एट्शे के रूप में तीन साल तक काम कर चुके हैं।
सेना मेडल, विशिष्ट और अति विशिष्ट सेवा पदक मिल चुका नरवणे को बहादुरी के लिए सेना मेडल (Sena Medal) मिल चुका है। नगालैंड में महानिरीक्षक असम राइफल्स (उत्तर) के रूप में सेवाओं के लिए विशिष्ट सेवा पदक (Param Vishisht Seva Medal- 2019) और अति विशिष्ट सेवा पदक (Ati Vishisht Seva Medal-2017) से भी सम्मानित हो चुके हैं।
चीन 100 बार तो हम 200 बार करते हैं घुसपैठ नरवणे वही सैन्य अधिकारी हैं, जिन्होनें सेना की पूर्वी कमान के कमांडिंग इन चीफ (सीइनसी) के पद पर रहते हुए यह कहकर सनसनी फैला दी थी कि यदि चीन हमारी सीमाओं में सौ बार घुसपैठ करता है तो हमारी सेना दो सौ बार करती है।