मुंबई मेडिकल परीक्षा में मराठा आरक्षण का लाभ छात्रों को तकनीकी गड़बड़ी के चलते नहीं मिल सका लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि मराठा आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ के निर्णय को जस का तस रखते हुए सिर्फ इस वर्ष मराठा आरक्षण का लाभ छात्रों को नहीं देने का निर्देश दिया है। यह जानकारी राज्य के वरिष्ठ मंत्री चंद्रकांत पाटील तथा मेडिकल शिक्षा मंत्री गिरीश महाजन ने दी। पत्रकार परिषद् में पाटील ने कहा कि इस वर्ष मराठा आरक्षण का लाभ मेडिकल शिक्षा में छात्रों को नहीं मिल पाएगा लेकिन, वे सभी छात्र सामान्य कोटा से प्रवेश ले सकेंगे। पाटील ने बताया कि करीब 300 छात्र हैं जिन्हें मराठा आरक्षण का लाभ मिल सकता है। इनमें से 200 से अधिक छात्रों को संभवत: सामान्य कोटा में स्थान मिल जाएगा। जबकि बचे हुए छात्रों के लिए हम केंद्र सरकार से अपील कर सीटें बढ़ाने की मांग करेंगे।
देरी को बनाया आधार महाजन ने बताया कि राज्य सरकार ने मराठा आरक्षण का कानून 30 नवम्बर 2018 को बनाया है जबकि नीट ने यह परीक्षा प्रक्रिया 3 नवम्बर को शुरू की। राज्य सरकार ने नोटिफिकेशन फरवरी 2019 में जारी किया और इसकी सूचना भी नीट संस्थान को देर से दी गई। इस बात को आधार मानते हुए हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ ने इस पर रोक लगाया। और सुप्रीम कोर्ट ने इसे मान्य करते हुए इस वर्ष मेडिकल शिक्षा प्रक्रिया में मराठा आरक्षण को लागू नहीं करने का निर्देश दिया है।
मराठा छात्रों में रोष उल्लेखनीय है सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका को ख़ारिज करते हुए राज्य के मेडिकल शिक्षा के लिए मराठा आरक्षण को इस वर्ष रोक दिया है। जिसे लेकर मराठा छात्रों में काफी रोष भी है। कई संगठन तो सरकार को चेतावनी भी दे रहे हैं।