साध्वी सोमलता को 14 अक्टूबर, 1968 को आचार्य तुलसी की आज्ञा से तत्कालीन साध्वी प्रमुखा लाडांजी ने संयमरत्न प्रदान किया था। यह अद्भुत घटना इस वजह से भी थी कि साध्वी प्रमुखा ने पूरे धर्मसंघ में सिर्फ साध्वी सोमलता को ही दीक्षा प्रदान की है। तेरापंथ समाज महिला मंडल की अध्यक्ष जयश्री वडाला ने बताया कि राजस्थान के बीकानेर जिले के गंगाशहर में केसरदेवी और रतनलाल बैद के नौ भाई-बहनों में पांचवीं संतान के रूप में साध्वी सोमलता का जन्म हुआ।
मिडिल क्लास पास करने के बाद 13 वर्ष की आयु में संयम पथ की ओर अग्रसर हो गईं, परमार्थिक शिक्षण संस्थान में प्रवेश कर चार वर्षों में स्नातकोत्तर के समकक्ष शिक्षार्जन करने के बाद बीदासर में दीक्षा स्वीकार किया। साध्वी सोमलता के अनुज मुनि कमलकुमार तेरापंथ धर्म संघ के तपस्वी संतों में से एक हैं। वे 40 वर्षों से तप कर रहे हैं। साध्वी सोमलता के 50वें संयम दिवस पर वह गोहाटी सेे मुंबई आएं हैं। साध्वी विनम्रयशा भी साध्वी की भाभी हैं।