ओशिवारा में जमीन घोटाला : FIR दर्ज करने के आदेश के बावजूद कार्रवाई नहीं
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विस्तार से बातचीत की गई…
क्षेत्रीय राजस्व अधिकारियों और अथॉरिटीज को सरकारी जमीनों पर छुट्टी और लाइसेंस के आधार पर सहकारी हाउसिंग सोसाइटियों में उपयोग के लिए फ्लैट्स देने के विषय में सर्कुलर जारी किया गया है। महाराष्ट्र भूमि राजस्व संहिता 1966 और महाराष्ट्र भू राजस्व (सरकारी भूमि का निपटान) नियम 1971 के प्रावधानों के अनुसार लाइसेंस शुल्क और कलेक्टर से पूर्व अनुमति के संबंध में विस्तार से बातचीत की गई। महाराष्ट्र भूमि राजस्व संहिता 1966 की धारा 37 ए की एक रीडिंग से पता चलता है कि बिक्री, हस्तांतरण, पुनर्विकास, उपयोगकर्ता के परिवर्तन, विकास अधिकारों के हस्तांतरण, अतिरिक्त मंजिल, कारपेट एरिया आदि का उपयोग करने के लिए सरकार से पूर्व अनुमति का प्रावधान है। हालांकि इसमें लाइसेंस शामिल नहीं किया गया है।
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स्वागत योग्य है यह कदम…
इस प्रकार जब सहकारी आवास समितियों में फ्लैटों को छुट्टी और लाइसेंस समझौतों के तहत उपयोग के लिए दिया जाता है, तो फ्लैट या पट्टे के अधिकार का स्वामित्व हस्तांतरित नहीं किया जाता है। बकौल सर्कुलर, इस तरह के अवकाश और लाइसेंस समझौते से संबंधित व्यक्ति को केवल फ्लैट के उपयोग का अनुमति अधिकार दिया जाता है। इसलिए कलेक्टर से कोई अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवेश त्रिपाठी ने बताया कि महाराष्ट्र भू राजस्व संहिता 1966 की धारा 37 ए से अस्थायी अवकाश और लाइसेंस के बहिष्कार की ऐसी स्पष्ट व्याख्या एक स्वागत योग्य कदम है और इस प्रक्रिया के तहत लाइसेंसदाता और लाइसेंसधारियों के आपसी लाभ के लिए संपत्ति का उपयोग आसान हो गया है।
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एनओसी की नहीं होगी जरूरत…
पहले से बहुत अधिक प्रचलित भ्रम अब हटा दिया गया है। हालाकि, ध्यान दें कि पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17 (1) के तहत छुट्टी और लाइसेंस समझौते को पंजीकृत करने के लिए यह हमेशा आवश्यक है। हालांकि अब अब कलेक्टर के एनओसी की भी जरूरत नहीं होगी।
– एड. देवेश त्रिपाठी, वरिष्ठ अधिवक्ता, बॉम्बे हाई कोर्ट
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