झुग्गी बस्ती की घनी आबादी के चलते अप्रेल में यहां वायरस तेजी से फैल रहा था। न सिर्फ संक्रमितों की संख्या बढ़ रही थी बल्कि हर दिन लोगों की मौत भी हो रही थी। मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) और राज्य सरकार ने इसे चुनौती के रूप में लिया। झुग्गी बस्ती में सात लाख लोगों की स्क्रीनिंग की गई। 47 हजार से ज्यादा घरों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य की जांच की गई। जिन लोगों में कोरोना के लक्षण दिखे, वे क्वारेंटाइन किए गए। जो सर्दी-खांसी बुखार पीडि़त थे, वे फीवर क्लीनिक भेजे गए। सार्वजनिक शौचालयों के चलते संक्रमण न फैले, इसके लिए बड़ी संख्या में लोग नजदीकी स्कूलों और स्पोट्र्स क्लब में क्वारेंटाइन किए गए।
बीएमसी के सहायक आयुक्त किरण दिघावकर ने कहा, हमने स्थानीय लोगों को भी साथ लिया। जांच बढ़ाई गई। जो पॉजिटिव मिले, वे अस्पताल भेजे गए। बिना लक्षण वाले पॉजिटिव लोग क्वारेंटाइन किए गए। इससे संक्रमण कम हुआ। समय पर उपचार मिलने से लोगों की जान बच रही है। महामारी से यहां 77 लोगों की मौत हुई है। जून में केवल छह लोगों की जान गई है। मई के शुरू में रोजाना औसतन 60 लोग संक्रमित हो रहे थे, जो एक तिहाई रह गया है।
दिघावकर ने कहा कि धारावी में लगभग 10 लाख लोग रहते हैं। 100 वर्ग फुट के कमरे में सात-आठ लोग रहते हैं। यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन आसान नहीं। कंटेनमेंट क्षेत्र में सख्ती की गई। घरों में जरूरत की चीजें पहुंचाई गईं। रमजान के दौरान क्वारेंटाइन सेंटर में इंतजाम किए गए। लोगों के नि:शुल्क उपचार की व्यवस्था की गई।