सेचेनोव यूनिवर्सिटी में इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल पैरासिटोलॉजी, ट्रॉपिकल एंड वेक्टर-बॉर्न डिजीज के निदेशक अलेक्जेंडर लुकाशेव के अनुसार इस पूरे अध्ययन का मकसद पपूरी दुनिया के महामारी से निजात दिलाना था। सुरक्षा के लिहाज से वैक्सीन के सभी पहलुओं की जांच कर ली गई है। उन्होंने कहा कि यह वैक्सीन जल्द ही बाजार में उपलब्ध होगी।
अमरीकी कंपनी मॉडर्ना की कोरोना रोधी वैक्सीन इंसानी परीक्षण केक तीसरे दौर में है। एमआरएनए-1237 नामक मॉडर्ना की वैक्सीन के पहले चरण का नतीजा सकारात्मक था। तीसरे चरण के ट्रायल में मॉडर्ना की वैक्सीन का परीक्षण 30 हजार लोगों पर किया जाएगा।
भारत भी इस दौड़ में शामिल है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के सहयोग में भारत बायोटेक की ओर से बनाई गई स्वदेशी-कोवैक्सीन का इंसानी ट्रायल शुरू है। एनआईवी, पुणे सहित कई संस्थाएं कोवैक्सीन का परीक्षण कर रही है। इस वैक्सीन के बैच सीडीएल कसौली में चेक किए जा रहे हैं ताकि इंसानों को टीका लगाने से पहले उनकी सेफ्टी, शुद्धता, पोटेंसी आदि कंफर्म की जा सके।