लॉकडाउन में घर गए श्रमिकों को गांव में नहीं मिला काम
करीब सात लाख श्रमिक कर्म भूमि लौटे
छोटे-बड़े कारखाने चलाने वाले मालिकों और कंपनियों ने राहत की सांस ली
Mumbai News : प्रवासी मजदूर आने लगे, कारखाने चलने लगे
पत्रिका न्यूज नेटवर्क मुंबई/पुणे. लॉकडाउन के बाद अप्रेल, मई और जून माह के दौरान कोरोना से बचने और रोजी रोटी की जुगाड़ के लिए अपने- अपने गांव-घर गए मजदूर कमाने -खाने के लिए वापस अब अपनी कर्म भूमि पर आने लगे हैं। इससे मुंबई ,ठाणे, रायगगढ़ ,पालघर, पुणे और नासिक आदि जिलों में स्थित कारखाने चलने लगे हैं। वैसे पूरी क्षमता से उत्पादन शुरू होने में अभी वक्त लगेगा लेकिन,लेकिन श्रमिकों की वापसी से छोटे-बड़े कारखाने चलाने वाले मालिकों और कंपनियों ने राहत की सांस ली है।
काम मिलने से खुश पावरलूम सिटी भिवंडी, पालघर के तारापुर केमिकल जोन, पुणे के पिंपरी चिंचवड और नासिक के औद्योगिक क्षेत्रों में चहल-पहल बढ़ गई । गांव से लौटे श्रमिक काम मिलने से खुश हैं। तीन महीने तक बेरोजगार रहे प्रवासी मजदूरों को उम्मीद है कि जल्दी ही उन्हें आर्थिक तंगी से निजात मिल जाएगी।
सात लाख श्रमिक लौटे सेंट्रल और वेस्टर्न रेलवे से मिले आंकड़ों के मुताबिक जून तक सात लाख प्रवासी मजदूर लौट चुके हैं। यूपी, बिहार और झारखंड से भरी हुई ट्रेनें मुंबई और पुणे आ रही हैं। राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख के मुताबिक हर दिन 15 से 20 हजार प्रवासी आए हैं । इनमें श्रमिकों की संख्या बहुत ज्यादा है। मुंबई सहित राज्य के विभिन्न शहरों में अन्य राज्यों से आने वाली ट्रेनों में आरक्षित सीटों की मांग बढ़ गई है। संभावना जताई जा रही कि चालू महीने में मजदूरों की वापसी जून के मुकाबले दुगनी होगी।
भरी हुई आ रहीं ट्रेने सेंट्रल रेलवे के सीपीआरओ शिवाजी सुतार ने बताया कि यूपी, बिहार,पश्चिमी बंगाल आदि राज्यों से आने वाली ट्रेनों में सीटें खाली नहीं हैं। वेस्टर्न रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी रविंद्र भाकर ने बताया कि मई में जब स्पेशल ट्रेनें चलाई गई थीं, तब केवल 70 प्रतिशत सीटों के लिए ही यात्री मिलते थे।अब महाराष्ट्र आने वाली गाडिय़ां 100 प्रतिशत फुल हैं।
यह भी पढ़े:-जवानों के बीच पहुंचे मोदी, नारों से गूंज उठा लद्दाख, अब घायल सैनिकों को देखने जाएंगे जनरल अस्पताल – देखों वीडियो श्रमिकों को तुरंत काम कुशल और अद्र्घ कुशल श्रमिकों को काम पाने के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ रहा है। भिवंडी के पावरलूम कारखानों में इन्हें तुरंत काम मिल रहा है। उद्यमी बलदेव सिंह सरवड़ी के अनुसार पुणे के आसपास स्थित ऑटोमोबाइल, इंजीनियरिंग आदि कारखाने धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहे हैं। पालघर के तारापुर औद्योगिक क्षेत्र में भी चहल-पहल बढ़ गई है।
लाखों घर चले गए थे विदित हो कि मार्च में लॉकडाउन लागू होने के बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों से लगभग 18 लाख प्रवासी मजदूर गांव चले गए थे। गांव जाने के लिए 10 लाख लोगों ने राज्य सरकार के पास पंजीकरण कराया था। इनमें से सात लाख को सरकार ने ट्रेन से भेजा। बाकी मजदूर बस, ट्रक, टेंपो, ऑटो रिक्शा-टैक्सी, कार आदि साधनों से गए।
शिवसेना ने कसा तंज मजदूरों की वापसी को लेकर शिवसेना ने भाजपा शासित उत्तरप्रदेश और बिहार की सरकार पर तंज कसा है। शिवसेना ने कहा कि यहां से गए मजदूरों को दोनों ही राज्यों की सरकार काम नहीं दे पाईं। शिवसेना ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को संभालने में उद्धव सरकार सक्षम है।