उल्लेेखनीय है कि जुलाई में सरकार ने परियोजना के लिए चार हजार करोड़ रुपए के कर्ज की गारंटी देने का आश्वासन महामंडल को दिया था। शुरू में 18 हजार करोड़ रुपए विभिन्न निगमों और एमएसआरडीसी ने अपने माध्यमों से जुटाए थे। एक्सप्रेसवे तैयार होने के बाद टोल वसूली से यह रकम लौटाई जानी है।
जो 13 हजार करोड़ रुपए का कर्ज मंजूर किया गया है, उसमें भारतीय स्टेट बैंक के आठ हजार करोड़ रुपए शामिल हैं। इसके अलावा बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने 500 करोड़, बैंक ऑफ बड़ौदा 1,500 करोड़, इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी 1300 करोड़ रुपए और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के 1700 करोड़ रुपए शामिल हैं। परियोजना के लिए तीन हजार करोड़ रुपए एशियाई इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक से लिए जाएंगे।
भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी), हुडको, कैनेरा बैंक और पंजाब नेशनल बैंक ने भी 13 हजार करोड़ रुपए का कर्ज देने पर सहमति जताई है। यदि परियोजना की लागत में वृद्धि हुई या राजमार्ग पर टोल शुरू नहीं किया जा सका या निगम मौजूदा ऋण को नहीं चुका सका तो सभी देनदारियों की गारंटी सरकार की होगी।
परियोजना का काम तेजी से हो रहा है। कर्ज स्वीकृत होने के बाद वित्तीय समस्या नहीं है। ऋण की राशि परियोजना की जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल की जाएगी।
राधेश्याम मोपलवार, प्रबंध निदेशक, एमएसआरडीसी