दुर्गा पूजा का आयोजन 1935 से
97 साल पुराना बंगाल क्लब दुर्गा पूजा का आयोजन 1935 से करता रहा है। खास बात यह है कि दुर्गा पूजा की सजावट प्रतिवर्ष नए थीम पर आधारित होती है। पंडाल के अंदर मां दुर्गा, सरस्वती ,लक्ष्मी, गणेश व कार्तिकेय की आकर्षक विशाल मूर्ति के दर्शन होते है। इस मूर्ति को पश्चिम बंगाल के हुबली तट से लाई गई मिटटी व गंगा जल के मिश्रण से बंगाल के पारम्परिक कलाकारों द्वारा बनाया जाता है। बंगाल क्लब के प्रवक्ता जॉय चक्रवर्ती ने बताया कि बंगाल की संस्कृति और परंपरा का जश्न मनाने के अलावा हम इस वर्ष निरंतर सामुदायिक सेवाओं के माध्यम से एकता बनाने के लिए अपने क्लब के मूल मूल्य का प्रदर्शन भी करेंगे। इस वर्ष दुर्गा पूजा का यह मुख्य आकर्षण होगा। दादर स्थित मनपा स्कूल के बच्चों द्वारा 3 अक्टूबर की शाम को पूजा का उद्घाटन किया जाएगा। बंगाल क्लब इस वर्ष की शुरुआत में इस स्कूल के सभी छात्रों को इस्कॉन के सहयोग से प्रत्येक शनिवार को नि:शुल्क दोपहर का भोजन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी ली है।
बंगाल क्लब की चैरिटी परियोजना का एक हिस्सा
चिकित्सा शिविरों के आयोजन और बालिकाओं को स्कूल की ड्रेस देने की भी योजना बनाई है। यह पहल बंगाल क्लब की चैरिटी परियोजना का एक हिस्सा है जिसे सम्पूर्णा कहा जाता है जो बालिकाओं के कल्याण और महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित है। 3 से 8 अक्टूबर के बीच आयोजित यह समारोह 5 दिनों तक पूरी तरह मिनी बंगाल के रूप में तब्दील हो जाता है। इस बार दुर्गोत्सव के पंडाल का थीम भव्य राज दरबार की तरह होगा। सिनेमा के प्रसिद्ध कला निर्देशक और प्रोडक्शन डिजाइनर नितिन देसाई ने इस भव्य महल की थीम की डिजाइन की है। 5 दिवसीय इस समारोह में करीब 10 लाख भक्त माता के दर्शन करते है। इस दुर्गोत्सव में जहां मूल बंगाली परम्परा का निर्वाह किया जाता है वही बंगाली परिधान,खान पान, पुस्तकों की प्रदर्शनी भी लगाई जाती है। दुर्गा पूजा में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे जो बच्चों और वयस्कों दोनों को ड्राइंग, नृत्य, गायन आदि में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। शाम के समय प्राचीन व पारंपरिक लोकप्रिय धूंनची नाच होगा जिसमें श्रद्धालु नृत्य करते हुए मिट्टी के बर्तन और सुलगते हुए धूप और शंख बजाते हुए नृत्य करेंगे।