मजदूरों के पलायन से खाली हो चुकी भिवंडी अब छोटे -बड़े राजस्थान के कारोबारियों से भी खाली होती जा रही है। भिवंडी में राजस्थानियों के जो थोड़े बहुत पावर लूम चल भी रहे हैं,उसमें से भी 50 फ़ीसदी से अधिक लूम जल्द बंद हो जाएंगे ,क्योंकि पावरलूम में सिर्फ उन्हीं कपड़ों की मांग रह गई है जो अस्पताल आदि में प्रयोग आते हैं।
पैतृक गांवों का आसरा
भिवंडी में पावरलूम कारोबारी राजस्थान के बीकानेर जिले के नापासर गांव गए महावीर झंवर ने बताया कि माहेश्वरी समाज के लगभग 80 फ़ीसदी लोग भिवंडी छोड़कर डूंगरपुर और बीकानेर आदि अपने गांव पहुंच गए हैं। नापासर के आलावा सींथल गांव में जो मकान पिछले 20 साल से नहीं खुले थे, वे अब खुल गए हैं। झंवर के मुताबिक़ भिवंडी के शिवाजी चौक और अंजूरफाटा से राजस्थान के लिए धड़ाधड़ बसें निकल रही है। गांव आकर लोग खुद अपने आप को अपने मकानों अथवा धर्मशाला में कोरेंटाइन कर रहे हैं।
मारवाड़ी इलाके खाली
भिवंडी में प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि भिवंडी के मारवाड़ी बहुल इलाके अजयनगर, गोकुलनगर, आदर्श पार्क, ओसवालवाड़ी आदि इलाकों से लगभग दो सौ से भी अधिक परिवार बसों से अपने-अपने गांव जा चुके हैं। इसके अलावा बहुत सारे लोग हवाईजहाज सहित निजी वाहनों अथवा किराया के अन्य वाहनों से भी धड़ाधड़ अपने मूल गांव जा रहे हैं। सबसे ज्यादा राजस्थान के पाली, जालौर, फालना, सिरोही, तखतगढ़ और माउंट आबू के लोग यहां से जा रहे हैं। इतना ही नहीं जैन समुदाय के भी काफी लोग पलायन कर गए हैं।
कारोबारी संक्रमण से भयाक्रांत
पावरलूम व्यवसाई रुपेश अजीतसरिया ने बताया कि एक तो कारोबार की हालत खराब है। दूसरे यहां कोरोना का निम्न स्तरीय इलाज होने से मृत्यु दर भी अधिक है। पास-के ठाणे आदि के अस्पतालों में भी मरीजों को भर्ती नहीं किया रहा है। बीमारी के डर के मारे हजारो व्यापारी पलायन कर चुके हैं। कारोबार चालू करने के दौरान लगभग 60 फीसदी व्यापारी, उद्यमी अथवा मालिक कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। जिस यूनिट में मालिक कोरोना प्रभावित मिल रहा है तो यह सुनकर 10 कारोबारी खुद से अपना कारोबार समेट ले रहे हैं। सबसे बड़ी बातयह है कि यहां से जाने वाले लोग जिनका वहां (गांव) अपना घर नहीं है। वे धर्मशाला अथवा किराए का घर लेकर रह रहे हैं।