शिक्षकों का कहना है, कि कोरोना के चलते उनकी संख्या कम है। जिससे वह क्रमश: छात्रो तक पहुँच रहे है। और उन्हें स्वअध्याय नामक पुस्तक दी जा रही है। जिसे शिक्षकों के समूह ने तैयार की है। स्वाध्याय पुस्तक में पाठ्यक्रम को ऐसे तैयार किया गया है। जिससे छात्र आसानी से और कम समय मे समझ सके। पुस्तक छात्रो में काफी लोकप्रिय हो रही है।
जिले के कान्वेंट स्कूलों में पढऩे वाले बच्चे ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से पढ़ाई कर रहे थे। लेकिन जनजातीय क्षेत्रो में रहने वाले गरीब तबके के हजारो बच्चे सुबिधाओं के अभाव में ऑनलाइन शिक्षा से वंचित थे। जिससे उनमें अशिक्षा बढ़ रही थी। शिक्षकों की पहल से शिक्षा में अमीरी-गरीबी का फासला कम होगा।
शिक्षकों की पहल को लोगो ने सराहा
शिक्षकों ने जब ‘शिक्षक आपके द्वार’ नामक अनूठी पहल की शुरुवात की तो इस बीच कई ने ये सोचा कि गुरुजी कोरोना सर्वे को लेकर आए होंगे, लेकिन जब उन्होंने छात्रों को पढ़ाई के नोट्स थमाए तो कई ग्रामीणों ने स्कूल के कार्यों की सराहना की।
स्कूल के बंद होने के बाद बच्चे के भविष्य की चिंता सता रही थी। शिक्षकों का प्रयास ग्रामीण क्षेत्रो में रहने वाले गरीब छात्रो के लिए संजीवनी है। दीपक कोम, अभिभावक कवाड़ा
ग्रामीण क्षेत्रो के ज्यादातर विद्यार्थियों के पास ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिए सुविधा नहीं थी। ऐसे में शिक्षकों ने आपस मे मिलकर तय किया कि वह विद्यार्थियों से डोर-टू-डोर संपर्क करेंगे।